नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान जी ने रावण की लंका को जलाकर राख कर दिया था। कुछ ऐसा ही नजारा कलयुग में भी देखने को मिला। अब एक बंदर ने श्रीलंका की बिजली गुल कर दी। जिसके कारण तीन करोड़ से ज्यादा लोग पांच घंटे तक अंधेरे में रहने को मजबूर हुए। गौर करने वाली बात ये है कि यहां बिजली सिर्फ किसी हिस्से में नहीं, बल्कि पूरे देश में कट गई। वीवीआईपी से लेकर आमजन हलकान रहे। अस्पताल में मरीज बेहाल हो गए।
क्या है पूरा मामला
दरअसल श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक बंदर पावर ग्रिड के पास पहुंच गया। वह करंट की चपेट में आ गया और फिर पूरा पावर ग्रिड सिस्टम ही फेल हो गया। एक साथ पूरे देश की बिजली जाने से अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। एक बिजली अधिकारी ने कहा कि बंदर पावर ग्रिड के संपर्क में आ गया, जिससे दिन में 11ः30 बजे के आसपास पूरा ग्रिड फेल हो गया और बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। कुछ क्षेत्रों में आपूर्ति बहाल होने में पांच घंटे से ज्यादा समय लगा।
ग्रिड ट्रांसफार्मर के संपर्क में आया बंदर
श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कुमार जयकोडी ने बताया कि एक बंदर रविवार को दक्षिण कोलंबो के ग्रिड ट्रांसफार्मर के संपर्क में आ गया है, जिससे सिस्टम में असंतुलन पैदा हो गया। न्यूज एजेंसी एएफपी से बातचीत के दौराप बिजली मंत्री ने कहा कि इस वजह से तीन घंटों तक पूरे देश में बिजली बाधित रही। सुबह 11ः30 बजे तक देश के कई हिस्सों में फिर बिजली बहाल की आपूर्ति शुरू हुई। मंत्री ने बताया कि इंजीनियरों ने कड़ी मशक्कत के बाद बिजली दोबारा शुरू हो गई। करीब पांच घंटे तक श्रीलंका के शहर, गांव अंधेरे में रहे।
पांच घंटे तक बिजली रही गुल
पावर ग्रिड की सप्लाई बाधित होने से कुछ समय के लिए पूरा देश बिजली विहीन हो गया। काफी अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चिंता वीवीआईपी और इमरजेंसी संस्थानों को बिजली मुहैया कराने की थी। काफी मशक्कत के बाद करीब 1 घंटे बाद जाकर कुछ जगहों पर सप्लाई को फिर से शुरू किया गया, लेकिन ज्यादातर जगहों पर सप्लाई 4-5 घंटे तक बाधित रही। सबसे ज्यादा समस्या अस्पतालों को उठानी पड़ी। मरीज बेहाल रहे। पेयजल आपूर्ति ठप हो गई और कुछ इलाकों में कम्पयूटर और इंटरनेट सेवाएं भी प्रभावित रहीं।
2022 में हुई थी बिजली कटौती
साल 2022 में श्रीलंका के लोगों को 10-10 घंटों तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था, जिससे वहां के बाजारों पर बहुत बुरा असर पड़ा था। उस समय देश में बिजली कटौती को 13 घंटो तक के लिए बढ़ा दिया गया था। उस समय श्रीलंका को खाद्य और ईंधन सहित कई आवश्यक चीजों के आयात के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। बिजली कटौती के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे थे। जबरदस्त प्रदर्शन हुए और तत्कालीन राष्ट्रपति को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।