Operation Sindoor : फरवरी 2023 में जब तुर्की भीषण भूकंप की चपेट में आया था, तब भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत सबसे पहले राहत पहुंचाई थी। भारतीय सेना, एनडीआरएफ और वायुसेना ने तुर्की जाकर जानें बचाईं, राहत सामग्री भेजी और हर संभव सहायता दी। लेकिन अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की ने भारत के इन प्रयासों को भुलाकर पाकिस्तान का खुला समर्थन किया और उसे ड्रोन व हथियारों की आपूर्ति कर भारतीय हितों को चोट पहुंचाने की कोशिश की।
तुर्की के सेब और फलों का बहिष्कार
तुर्की की इस एहसान फरामोशी से आहत भारत की आम जनता और व्यापारी वर्ग ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है। गाजियाबाद के साहिबाबाद के फल विक्रेताओं ने साफ कहा है कि वे अब तुर्की से सेब या कोई भी फल नहीं मंगवाएंगे। उनका कहना है कि वे आतंकवाद को समर्थन देने वाले किसी भी देश से व्यापार नहीं करेंगे और अब हिमाचल जैसे भारतीय राज्यों से सेब खरीदेंगे। हर साल भारत तुर्की से करीब 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये के सेब आयात करता है। ऐसे में इस बायकॉट से तुर्की के फलों के निर्यात को बड़ा झटका लग सकता है।
मार्बल इंडस्ट्री ने भी किया बायकॉट का ऐलान
केवल फल व्यापार ही नहीं, तुर्की का मार्बल निर्यात भी अब खतरे में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की मार्बल इंडस्ट्री ने भी तुर्की से आयात बंद करने का फैसला लिया है। यह निर्णय भी तुर्की के पाकिस्तान समर्थक रुख के कारण लिया गया है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है और लोग तुर्की यात्रा की अपनी योजनाएं रद्द कर रहे हैं। इससे पर्यटन उद्योग पर भी असर पड़ रहा है। वर्ष 2024 में तुर्की में 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटक आए थे, जिनमें लगभग 3 लाख भारतीय शामिल थे। यह संख्या 2023 की तुलना में 20% अधिक थी। आंकड़ों के अनुसार, एक भारतीय पर्यटक ने औसतन 972 डॉलर खर्च किए, जिससे तुर्की को कुल 291.6 मिलियन डॉलर की आय हुई।
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अब इन बुकिंग्स के रद्द होने से तुर्की को पर्यटन क्षेत्र में भी भारी नुकसान होने की आशंका है। देश के प्रमुख व्यापार संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने व्यापारियों और आम नागरिकों से तुर्की और अजरबैजान के उत्पादों और यात्रा का बहिष्कार करने की अपील की है। कैट ने पहले चीनी सामान के बायकॉट का सफल अभियान चलाया था, और अब वह तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ भी इसी तरह का अभियान शुरू कर रहा है।