History of world AIDS day : हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य एचआईवी से ग्रस्त लोगों के प्रति समर्थन व्यक्त करना और एड्स से मरने वालों को श्रद्धांजलि देना है। यह एक वर्ड वाइड प्रयास है जो समुदायों, व्यक्तियों और सरकारों को एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई में कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।
इस दिन का एक और उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में शिक्षित करना है। यह एचआईवी परीक्षण के महत्व और इससे जुड़े कलंक को दूर करने पर जोर देता है। एड्स के खिलाफ लड़ाई में शिक्षा और जागरूकता सबसे प्रभावी हथियार माने जाते हैं।
विश्व एड्स दिवस 2024 की थीम
इस साल की थीम “सही मार्ग अपनाएं” है। यह मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन के महत्व को उजागर करती है। थीम इस बात पर जोर देती है कि एचआईवी/एड्स महामारी से लड़ने में लोगों के अधिकारों का सम्मान करना और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच देना बेहद जरूरी है।
जागरूकता का महत्व
एड्स एक ऐसी स्थिति है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है। हालांकि पिछले कुछ सालों में इस दिशा में रोकथाम और इलाज के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, लेकिन यह अभी भी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस बीमारी का प्रभाव ज्यादा देखा जाता है।
एड्स दिवस लोगों को इस बात की याद दिलाता है कि नए संक्रमण को रोकने और भेदभाव को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
यह दिन जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और एचआईवी से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव खत्म करने के महत्व को भी इंडीकेट करता है।
विश्व एड्स दिवस का इतिहास
world AIDS Dayपहली बार 1988 में मनाया गया था। इसकी शुरुआत जेम्स डब्ल्यू. बन्न और थॉमस नेटर ने की थी, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के एड्स कार्यक्रम से जुड़े थे। उन्होंने इस दिन को मीडिया कवरेज बढ़ाने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए चुना।
1 दिसंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह समय अमेरिकी चुनावों के बाद और छुट्टियों के पहले का होता है, जब मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सकता था।