
स्वाद और स्वास्थ्य का संगम
कांजी एक फर्मेंटेड ड्रिंक है, जो गाजर, मूली, चुकंदर और सरसों के बीज से तैयार की जाती है। यह न केवल पाचन शक्ति बढ़ाता है, बल्कि शरीर में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा भी बढ़ाता है। ठंड के मौसम में या तब जब आप बीमार महसूस कर रहे हों, यह शरीर और मन दोनों को सुकून देता है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह ग्लूटन-फ्री ड्रिंक आसानी से पचने योग्य और स्वाद के अनुसार बदली जा सकती है।
पोषण विशेषज्ञ डॉ. सीमा वर्मा बताती हैं, “कांजी में प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंत की सेहत के लिए बेहतरीन हैं। यह इम्यूनिटी बढ़ाने और सर्दियों में शरीर को ठंड से बचाने में मदद करता है।”
परंपरागत महत्व
कांजी का सेवन भारतीय घरों में पीढ़ियों से किया जा रहा है। खासकर उत्तर भारत में मकर संक्रांति और सर्दियों के दौरान यह पेय घर-घर में परोसा जाता है। इसके अलावा इसे सर्दी-जुकाम और अपच जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता रहा है।
कांजी प्रेमी रितु अग्रवाल कहती हैं, “हमारे घर में हर साल मकर संक्रांति पर मां खुद कांजी बनाती हैं। इसे पीते ही शरीर को गर्माहट महसूस होती है और पाचन भी ठीक रहता है।”
कांजी बनाने की विधि:
कांजी बनाना बेहद आसान है। गाजर या मूली को काटकर पानी और नमक में डालें, उसमें हल्का सा सरसों का पाउडर मिलाएँ और इसे 2–3 दिन तक फर्मेंट होने दें। तैयार कांजी को ठंडा या गर्म दोनों तरह से पिया जा सकता है। कांजी केवल एक पारंपरिक पेय नहीं, बल्कि स्वाद और स्वास्थ्य का बेहतरीन मिश्रण है।