Birthday special : फिल्म ‘लव स्टोरी’से सुपरस्टार बनने वाले कुमार गौरव अब कहां है,जानिए क्यों जी रहे हैं गुमनामी की ज़िंदगी

कुमार गौरव ने ‘लव स्टोरी’ से सुपरस्टार बनकर लाखों दिल जीते, लेकिन कुछ ग़लत फैसले और लगातार असफल फिल्मों से उनका स्टारडम फीका पड़ा। आज वे फिल्मी दुनिया से दूर सादगी से जीवन जीते हैं। उनकी कहानी प्रेरणादायक है।

Kumar Gaurav life journey

Kumar Gaurav life journey 11 जुलाई को अपना 67वां जन्मदिन मना रहे कुमार गौरव की जिंदगी फिल्मी दुनिया के उतार-चढ़ाव की एक मिसाल है। साल 1981 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘लव स्टोरी’ से उन्होंने जबरदस्त एंट्री की थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई और कुमार गौरव रातोंरात स्टार बन गए। उनके मासूम चेहरे, सहज अभिनय और हैंडसम लुक ने उन्हें युवाओं का चहेता बना दिया।

लगातार मिलते रहे फिल्मों के ऑफर

‘लव स्टोरी’ की सफलता के बाद उन्हें कई फिल्मों के ऑफर मिले। ‘तेरी कसम’ और ‘लवर्स’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। 1986 की फिल्म ‘नाम’ में उनके अभिनय को खास सराहना मिली। इस फिल्म में उन्होंने संजय दत्त के साथ काम किया और साबित किया कि वह सिर्फ स्टार किड नहीं, एक सच्चे कलाकार हैं।

अहंकार और फैसलों ने गिराया करियर

हालांकि, सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद गौरव को लेकर खबरें आईं कि वह घमंड में आ गए थे। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कुछ जूनियर कलाकारों के साथ काम करने से इनकार कर दिया, जिससे उनका करियर धीरे-धीरे ढलान पर आ गया। कई फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होना भी उनके स्टारडम को नुकसान पहुंचाने लगा।

पिता ने की कोशिशें,पर फिर भी न चला जादू

1993 में उनके पिता और दिग्गज अभिनेता राजेंद्र कुमार ने ‘फूल’ नाम की फिल्म बनाई ताकि गौरव का करियर फिर से पटरी पर आ सके, लेकिन यह फिल्म भी कोई खास कमाल नहीं कर सकी। इसके बाद गौरव ने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली। 1996 में ‘मुट्ठी भर जमीन’ और ‘सौतेला भाई’ जैसी फिल्मों में नजर आए, लेकिन सफलता फिर भी उनसे दूर रही। उनकी आखिरी फिल्म ‘कांटे’ (2002) थी, जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन और संजय दत्त जैसे सितारों के साथ काम किया।

फिल्मों से दूर,अब सादगी भरा जीवन

आज कुमार गौरव लाइमलाइट से दूर एक शांत और सादगी भरी जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने एक्टिंग की चकाचौंध छोड़ अपने परिवार को प्राथमिकता दी। कभी लाखों दिलों की धड़कन रहे कुमार गौरव की कहानी आज भी यह सिखाती है कि सफलता के बाद भी विनम्रता और संतुलन जरूरी है। उनकी यात्रा संघर्ष और सीखों से भरी रही है, जो आज भी कई युवाओं के लिए प्रेरणा है।

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