Delhi Blast: 29 अक्टूबर से 10 नवंबर तक उसकी हलचल को दर्शाने वाले और भी सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं, जो जरूरी घटनाक्रम की जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, बम विस्फोट से पहले 10 नवंबर को ली गई तस्वीरों का जाँच किया जा रहा है ताकि और जानकारी जुटाई जा सके। जांचकर्ताओं को डॉ. उमर नबी के मोबाइल फ़ोन से भी महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। बताया गया है कि उसने युवाओं से जुड़ने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल किया, जो अब उसकी गतिविधियों और नेटवर्क के विस्तार को समझने में एक बड़ा कोर है। यदि आपको इस मामले का निचोड़ जाँच या और जानकारी चाहिए, तो बेझिझक पूछें।
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में नई जानकारी में
जिसमें जांच एजेंसियों कोआतंकवादी डॉक्टर उमर नबी के मोबाइल फोन से चौंकाने वाले सबूत मिले हैं। जांच के मुताबिक, उमर नबी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों से दोस्ती करता था, उन्हें धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारों की ओर ले जाता था और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े स्लीपर सेल बनाने का प्रयास कर रहा था। विशेष बात यह है कि वह उन नौजवानों को निशाना बनाता था जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और जो पढ़े-लिखे थे, ताकि सुरक्षा एजेंसियों को शक न हो। दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले के पास चांदनी चौक में हुए ब्लास्ट में, जांच में पता चला है कि कार चला रहा व्यक्ति, डॉक्टर उमर उल नबी, एक आत्मघाती हमलावर (सुसाइड बॉम्बर) था। यह पहली बार है जब किसी सुरक्षा एजेंसी ने इसकी आधिकारिक सबूत की है।
सूत्रों के मुताबिक
अब सुरक्षा एजेंसियां उमर नबी के पूरे मूवमेंट को रीक्रिएट करने की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए वह ब्लास्ट से पहले उसके पूरे रूट मैप को तैयार करेंगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि वह कब और कहां-कहां गया था। इस रूट मैप को बनाने के लिए, उन स्थानों का तहक़ीक़ात, किया जाएगा जहां उमर नबी और उसकी कार, Hyundai i20, को 50 से अधिक CCTV कैमरों ने कैद किया है।
इसके जरिए यह भी पता लगाया जाएगा कि फरीदाबाद से दिल्ली पहुंचने तक, कोई उसकी मदद कर रहा था, उससे मिला था या उसका पीछा कर रहा था। सूत्रों ने बताया कि उमर ने NCR में कितने घंटे बिताए, यह समझने के लिए सभी बिंदुओं को जोड़ना बहुत जरूरी है, ताकि उसकी गतिविधियों का पूरा ट्रैक लगाया जा सके।
