इस बीच, कैब एग्रीगेटर कंपनियां जैसे ओला, उबर और रैपिडो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइनों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी कांग्रेस यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा के अनुसार, ये कंपनियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित गाइडलाइनों को नजरअंदाज कर रही हैं और टैक्सी-ऑटो चालकों का शोषण कर रही हैं। बुकिंग के नाम पर ये कंपनियां उनसे भारी कमीशन चार्ज करती हैं। दिल्ली के कई ऑटो-टैक्सी चालक इस रवैये से काफी परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि यह सब दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग(Delhi Transport) और ट्रैफिक पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है। गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान किशन वर्मा ने स्पष्ट किया कि अगर दिल्ली सरकार उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती, तो यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि इस हड़ताल से एक लाख ऑटो और 4 लाख टैक्सियां प्रभावित हुई हैं। इस आंदोलन में ट्रैक्सी चालक सेना यूनियन, दिल्ली ऑटो तिपहिया ड्राइवर यूनियन, राजधानी टूरिस्ट ड्राइवर यूनियन समेत कई संगठन शामिल हैं।
Kolkata Rape Case में आरजी कर कॉलेज के 4 कर्मचारियों का होगा…
हड़ताल अभी भी जारी
इन संगठनों का आरोप है कि जब लंबी दूरी की कैब बुक की जाती है, तो ये कंपनियां पहले से ही भारी कमीशन वसूल लेती हैं, जिससे चालकों को कोई लाभ नहीं होता। इसके अलावा, ऐप आधारित गाड़ियों की वजह से अन्य चालकों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार, दिल्ली में आज लगातार दूसरे दिन टैक्सी-ऑटो चालकों की हड़ताल जारी है, जिससे लाखों दिल्लीवासियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।