Delhi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कथित शराब घोटाले में सीबीआई केस में भी केजरीवाल को जमानत दे दी है। उन्हें ईडी केस में पहले ही जमानत मिल चुकी थी। अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई केस में भी जमानत मिल गई है। इससे उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।
हालांकि जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। जमानत के लिए उन पर वही शर्तें लागू होंगी, जो ईडी केस में जमानत देते समय लगाई गई थीं। जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे। साथ ही उनके दफ्तर जाने पर भी रोक रहेगी। इतना ही नहीं, वह इस मामले में कोई बयान या टिप्पणी भी नहीं कर पाएंगे।
जमानत के लिए क्या होंगी शर्तें
– अरविंद केजरीवाल न तो सचिवालय जा पाएंगे और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय जाएंगे।
– किसी भी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक जरूरी न हो।
– अपने ट्रायल के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहेंगे या बताएंगे।
– किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे।
– इस मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुँच नहीं मिलेगी।
– जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होकर जांच में सहयोग करेंगे।
21 मार्च को हुई थी गिरफ्तारी
अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। 10 मई को उन्हें लोकसभा चुनाव के चलते सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। इसके बाद 2 जून को केजरीवाल ने सरेंडर कर दिया था। इस मामले की जांच ईडी और सीबीआई दोनों कर रही हैं। ईडी केस में केजरीवाल को 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। अब उन्हें सीबीआई केस में भी जमानत मिल गई है।
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क्या है Delhi का कथित शराब घोटाला?
Delhi की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को आबकारी नीति 2021-22 लागू की। नई नीति ने सरकार को शराब कारोबार से बाहर कर दिया और पूरी दुकानों को निजी हाथों में सौंप दिया।
Delhi सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से सरकार का राजस्व बढ़ेगा और माफिया शासन खत्म होगा। यह नीति शुरू से ही विवादों में रही थी, इसलिए 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया जब हंगामा बढ़ा।
8 जुलाई 2022 को दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से कथित शराब घोटाला सामने आया।
उसने इस रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने शिकायत दर्ज की। ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के कारण केस दर्ज किया।
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था। मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था। आरोप था कि नई नीति के जरिए लाइसेंसी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कोविड की आड़ में मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई। एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ रुपये वापस भी कर दिए गए, जबकि यह रकम जब्त की जानी थी।