Karnataka leadership crisis: कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच नेतृत्व संघर्ष गंभीर हो गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सूत्रों के अनुसार, 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले नेतृत्व परिवर्तन पर अंतिम फैसला हो सकता है। शिवकुमार, जिन्हें राहुल गांधी से व्हाट्सएप पर ‘कृपया प्रतीक्षा करें’ का जवाब मिला है, अब 29 नवंबर को सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली जा सकते हैं। इस दौरान वे सिद्धारमैया के साथ 5-6 वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में हुए 2.5 साल बाद सत्ता सौंपने के ‘सीक्रेट समझौते’ को लागू करने का आग्रह करेंगे। इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में, शिवकुमार ने मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जरकीहोली से देर रात गुप्त बैठक भी की है, जहाँ मतभेदों को सुलझाने और पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई।
राहुल ने ‘वेटिंग’ में डाला, सोनिया के दरबार में डीकेएस
Karnataka कांग्रेस में नेतृत्व संघर्ष के बीच, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सूत्रों के मुताबिक, 1 दिसंबर को शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले मुख्यमंत्री बदलने या नहीं बदलने का फैसला हो जाएगा। उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सोनिया गांधी से मिलने का वक्त माँगा है और वे 29 नवंबर को दिल्ली आ सकते हैं। शिवकुमार पिछले एक हफ्ते से राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें व्हाट्सएप पर केवल ‘कृपया प्रतीक्षा करें, मैं आपको कॉल करूंगा’ का जवाब मिला।
शिवकुमार और जरकीहोली की गुप्त बैठक
डीके शिवकुमार और पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जरकीहोली के बीच मंगलवार देर रात एक अज्ञात स्थान पर गुप्त बैठक हुई। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के लिए अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले जरकीहोली, शिवकुमार के साथ मतभेदों को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे।
शिवकुमार खेमे के समर्थक विधायक पहले ही दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान पर मुख्यमंत्री पद के रोटेशन के लिए 2023 के ‘सत्ता-साझाकरण’ वादे को लागू करने का आग्रह कर चुके हैं। इसी पृष्ठभूमि में हुई शिवकुमार और जरकीहोली की बैठक का मुख्य केंद्र दोनों के बीच मतभेदों को सुलझाना था। शिवकुमार खेमे के सूत्रों ने बताया कि दोनों के बीच बातचीत आधी रात के बाद तक चली।
आगे की रणनीति और OBC समर्थन
दोनों Karnataka नेताओं ने 2023 के चुनावों के दौरान KPCC अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एक साथ काम किया था। समझा जाता है कि उन्होंने 2028, 2029 के लिए पार्टी के रोडमैप और सिद्धारमैया युग के बाद की स्थिति पर व्यापक बातचीत की, क्योंकि मुख्यमंत्री अपने चुनावी सफर के अंत के करीब माने जा रहे हैं। चर्चा का मुख्य फोकस OBC समर्थन को मजबूत करने और जरकीहोली को एक प्रमुख पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में स्थापित करने पर था।
सत्ता-साझाकरण के वादे का मुद्दा
सूत्रों का कहना है कि डीके शिवकुमार ने सतीश जरकीहोली को बताया कि उनके और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच 5-6 सीनियर नेताओं की मौजूदगी में 2.5 साल बाद सत्ता सौंपने का एक समझौता हुआ था, लेकिन इस वादे का पालन नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि सतीश की पहली स्थिति इस संकट के दौरान मुख्यमंत्री के साथ मजबूती से खड़ा रहना है। उनकी दूसरी स्थिति यह है कि अगर हाई कमांड सिद्धारमैया को पद छोड़ने का निर्देश देता है, तो वह निर्देश का पालन करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया राहुल गांधी की बात सुनने को तैयार हैं, जिन्होंने उन्हें दो बार Karnataka मुख्यमंत्री पद पर बिठाया। अगर राहुल बदलाव का निर्देश देते हैं, तो सिद्धारमैया उसका पालन करेंगे। पता चला है कि सतीश ने डीके शिवकुमार से कहा कि अगर हाई कमान शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच समझौते के बारे में साफ घोषणा करता है, तो सारा कन्फ्यूजन और चल रहा संकट हल हो सकता है।
