नई दिल्ली: 26 जुलाई से पेरिस ओलंपिक (Olympic) शुरु हो जाएगा, जो 11 अगस्त तक चलेगा। इस बार पेरिस ओलंपिक में भारत की ओर से 117 खिलाड़ी पार्टिसिपेंट करेंगे। इन सभी खिलाड़ियों से रिकॉर्ड मेडल जीतने की उम्मीद लगाई जा रही है। खैर ये तो ओलंपिक शुरू होने के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन अब जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे आपने देखा तो कई बार होगा, लेकिन उसके बारे में शायद ही जानते होंगे।
कई एथलीट्स (Olympic) को आपने मेडल जीतने के बाद उसे दांतों से काटते हुए देखा होगा। अब सवाल ये है कि किसी भी बड़े टूर्नामेंट में जब कोई एथलीट मेडल जीतता है, तो वो पोडियम पर खड़े होकर उसे दांतों से क्यों काटता है?
अब इसका जवाब भी जान लीजिए। ये कोई नियम या परंपरा नहीं है। इतिहास के मुताबिक, पुराने समय में जब मुद्रा के रूप में कीमती धातु का इस्तेमाल होता था, तब सोने के सिक्कों की प्रामाणिकता की जांच के लिए व्यापारी उनको काटते थे। सोना एक नरम धातु होता है, जो थोड़े से दबाव में ही फट जात है।
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लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि खिलाड़ी मेडल की परख करने के लिए उसे दांतों से काटते हैं। साल 1912 से शुद्ध सोने के मेडल दिए जाते थे, लेकिन इसके बाद इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी IOC ने शुद्ध मेडल देना बंद कर दिया था। जीते हुए मेडल को दांतों से काटने के पीछे दूसरा कारण एथलीट को अपनी मेहनत और जोश को दिखाना भी होता है। इसके अलावा फोटोग्राफरों के सबसे पसंदीदा पोज के चलते और उनके आग्रह के कारण भी एथलीट मेडल को दांतों से काटते हैं।