नई दिल्ली: पिछले महीने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने आरोप लगाया था कि उनका कैंपेन ईरान द्वारा हैक किया गया है। अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि ईरान (Iran) अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा था। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया है कि ट्रंप के कैंपेन पर हुआ हैक ईरान का काम था।
अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, ईरान (Iran) राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। FBI और ओडीएनआई की जांच में पता चला है कि ट्रंप के कैंपेन पर पिछले महीने हुए हमले को ईरान ने ही अंजाम दिया था। ट्रंप के आरोपों के बाद, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ने भी पाया कि ईरान से जुड़े अकाउंट्स अमेरिकी वोटर्स को फेक ईमेल भेजने की कोशिश कर रहे थे। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ने इन फेक अकाउंट्स की पहचान कर उन्हें बंद कर दिया। इन घटनाओं के बाद, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में विदेशी दखल की चिंता बढ़ गई है।
अमेरिका को वैश्विक महाशक्ति माना जाता है और वहां की राजनीति में बदलाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। इस समय मध्य पूर्व में तनाव है और अमेरिका इस तनाव को कम करने या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ईरान (Iran) अमेरिका को बड़ा शैतान और इजराइल को छोटा शैतान मानता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान इस चुनाव पर करीबी नज़र बनाए हुए है क्योंकि अगला अमेरिकी राष्ट्रपति ही इजराइल को दी जाने वाली सहायता की मात्रा तय करेगा। डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी मंचों और मीडिया के माध्यम से इजराइल का समर्थन किया है। वहीं, कमला हैरिस ने भी इजराइल का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने गाजा में मानवीय संकट पर इजराइल पर सवाल उठाए हैं।
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ईरान ने सिर्फ ट्रंप के कैंपेन को ही निशाना नहीं बनाया, बल्कि कमला हैरिस की टीम ने भी दावा किया है कि ईरान ने उनके कैंपेन को भी निशाना बनाने की कोशिश की है। मध्य पूर्व के दृष्टिकोण से, ट्रंप ईरान के लिए ज्यादा खतरा हो सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में इजराइल और कई अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य किया था।