Jharkhand: भारतीय जनता पार्टी (BJP) अगला चुनाव जीतने के लिए 45% अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और 26% आदिवासी समुदाय को अपने साथ जोड़ने की योजना बना रही है। इसके लिए पार्टी ने हाल ही में Jharkhand मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से संपर्क किया है। वहीं, ओडिशा के राज्यपाल और Jharkhand के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी फिर से राजनीति में आकर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने अपनी इस इच्छा को गृह मंत्री अमित शाह को बताया है और राज्यपाल रहते हुए अपनी राजनीतिक सक्रियता भी बढ़ा दी है। हालांकि, आदिवासी वर्ग की नाराजगी और उनके नेताओं के विरोध के चलते BJP को दास को चुनाव लड़ाने के निर्णय पर संकोच हो रहा है।
रघुवर दास की वापसी पर विवाद
Jharkhand के आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री का मानना है कि अगर रघुवर दास चुनाव लड़ते हैं तो इससे नतीजों पर बुरा असर पड़ सकता है। रघुवर दास ने जब मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया था, तो उनके कई फैसले आदिवासी समुदाय को नाराज कर गए थे। खासकर उनकी कोशिश थी कि आदिवासियों की जमीन गैर-आदिवासियों को बेची जा सके, जिसने आदिवासी वर्ग को BJP से दूर कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी 25 आरक्षित सीटों में से 23 पर हार गई थी। इसके अलावा, लोकसभा चुनावों में भी सभी पांच आरक्षित सीटें विपक्ष के खाते में चली गईं।
यहां पढ़ें: मायावती का बड़ा खुलासा: 2019 में अखिलेश यादव से गठबंधन टूटने की असली वजह
अगर रघुवर दास की राजनीति में वापसी होती है, तो BJP की आदिवासी समुदाय को जोड़ने की सभी कोशिशें बेकार हो सकती हैं। पार्टी के भीतर यह डर बना हुआ है कि दास की वापसी से आदिवासी समुदाय और ज्यादा नाराज हो सकता है।
ओबीसी और आदिवासी समुदाय में संतुलन
BJP की पूरी रणनीति OBC और आदिवासी समुदाय के बीच संतुलन बनाने पर आधारित है। पार्टी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन के अलावा, आदिवासी वर्ग के एक और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को भी अपने साथ जोड़ा है। वहीं, OBC समुदाय को अपने पक्ष में रखने के लिए, BJP रघुवर दास को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही, पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के साथ गठबंधन की योजना भी बना रही है।
पार्टी के भीतर माथापच्ची
BJP के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि सत्ता में वापसी के लिए आदिवासी और OBC वर्ग के बीच सही तालमेल बैठाना बहुत जरूरी है। हालांकि, पिछले चुनाव में दास को सरयू राय से हार मिली थी, लेकिन वह जमशेदपुर पूर्व से लगातार पांच बार विधायक रहे हैं।