
लोग चिथड़ों के बीच अपनों को ढूंढते रहे। इस दौरान किसी की पहचान कपड़े से हुई तो किसी के हाथ पर बने गोदना व कलावा से हुई। अलग- अलग पड़े शरीर के अंगों को सहेजकर किसी तरह पोस्टमॉर्टम कराया गया। फिर उसे कपड़े में लपेटकर अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंपा गया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि खनन नियमों का उल्लंघन पाया गया तो किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया है कि खदान अवैध रूप से चलाई जा रही थी और इसमें माइनिंग माफिया तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। इस दर्दनाक हादसे के बीच प्रशासन ने मृतकों के परिजनों के लिए ₹20 लाख मुआवज़े की घोषणा की है, जबकि फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव दल लगातार युद्धस्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
कैसे हुआ था हादसा
शनिवार को दोपहर श्री कृष्णा माइनिंग की खदान में यही प्रक्रिया चल रही थी। नौ ट्रैक्टर व कंप्रेशर मशीन के साथ 18 मजदूर नीचे काम कर रहे थे। अचानक करीब डेढ़ सौ फीट ऊंचाई से भारी चट्टान गिरा, जिसके मलबे में मजदूर दब गए। यह वही चट्टान है, जिसे हटाने में 30 घंटे से NDRF और SDRF की टीमें लगी हुई है ।