
Supreme Court : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण स्पष्टता दी है कि राज्य के गवर्नर को राज्य मंत्रिपरिषद की सिफारिशों या मुख्यमंत्री की नियुक्ति जैसे मामलों पर कार्रवाई करने के लिए कितने समय में निर्णय लेना चाहिए। इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि गवर्नर द्वारा किसी महत्वपूर्ण निर्णय में अनावश्यक देरी “अस्वीकार्य” है और यह राज्य स्तर पर सरकार के संचालन में रुकावट डालता है।

मामले का पृष्ठभूमि
यह मामला एक राज्य में चुनावों के बाद मुख्यमंत्री की नियुक्ति में हुई देरी से जुड़ा था। गवर्नर पर आरोप था कि उन्होंने बिना किसी उचित कारण के प्रक्रिया में विलंब किया, जिसके कारण राजनीतिक अस्थिरता और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि गवर्नर द्वारा राज्य के विधायिका और राजनीतिक नेताओं की सिफारिशों पर कार्रवाई में देरी करना अवैध और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गवर्नरों को राज्य सरकार के गठन और महत्वपूर्ण निर्णयों में देरी नहीं करनी चाहिए, खासकर जब विधायिका या सत्ताधारी पार्टी की ओर से स्पष्ट जनादेश हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि गवर्नर की भूमिका संविधान के अनुरूप होनी चाहिए और अनावश्यक देरी राज्य सरकार की स्थिरता और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाती है।कोर्ट ने यह भी कहा कि गवर्नर की भूमिका मुख्य रूप से औपचारिक है, और वास्तविक निर्णय-निर्माण की शक्ति राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास होती है। इसलिए, गवर्नर को किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय में समय पर कार्रवाई करनी चाहिए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप का स्वागत किया और इसे गवर्नरी के अधिकारों के अनुचित उपयोग से बचाव के रूप में देखा। वहीं, कुछ सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने गवर्नर की भूमिका में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को संवैधानिक संतुलन के खिलाफ बताया है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय यह याद दिलाता है कि राज्य स्तर पर शासन को त्वरित और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार संचालित किया जाना चाहिए। गवर्नर द्वारा महत्वपूर्ण निर्णयों में अनावश्यक देरी को “अस्वीकार्य” करार देकर कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य सरकारों का संचालन बिना किसी रुकावट के और समय पर होना चाहिए। जैसा कि भारत का राजनीतिक परिदृश्य विकसित हो रहा है, यह फैसला गवर्नर और निर्वाचित सरकारों के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकता है, और इससे राज्य प्रशासन में तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है।