टेरर फंडिंग मामले में ग्रेटर नोएडा की कंपनी पर UP ATS का दोबारा छापा; आयुर्वेदिक दवाओं के नाम पर बांटी जा रही थीं भड़काऊ किताबें

ग्रेटर नोएडा टेरर फंडिंग केस में यूपी एटीएस ने कासना की एक कंपनी पर मंगलवार को फिर छापा मारा। फरहान नबी सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद टीम कंपनी की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। छापेमारी के दौरान टीम ने कर्मचारियों के रिकॉर्ड, दस्तावेज और सीसीटीवी फुटेज खंगाले।

Greater Noida

Greater Noida terror funding: उत्तर प्रदेश एटीएस (UP ATS) ने ग्रेटर नोएडा में चल रहे टेरर फंडिंग मामले की जांच तेज करते हुए, कासना स्थित एक कंपनी पर मंगलवार को गोपनीय रूप से दोबारा छापेमारी की। यह कार्रवाई 7 नवंबर को कंपनी के मालिक फरहान नबी सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद की गई है, जिसके संबंध में खुलासा हुआ था कि यह फर्म आयुर्वेदिक दवाओं और आरओ मशीनों के नाम पर ऐसी विवादास्पद पुस्तकें प्रकाशित कर रही थी जो विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच तनाव को भड़काने की क्षमता रखती थीं।

एटीएस की टीम लगातार इस कंपनी की संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी कर रही थी। ताजा छापेमारी में, टीम ने रजिस्टरों, कर्मचारियों के आने-जाने के रिकॉर्ड, महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की। स्थानीय पुलिस को इस बार पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एटीएस इस मामले की बारीकी से और गहन जांच कर रही है। जल्द ही इस बड़े प्रकरण में और खुलासे होने की संभावना है।

टेरर फंडिंग में कासना की कंपनी जांच के दायरे में

Greater Noida टेरर फंडिंग प्रकरण की जांच के सिलसिले में यूपी एटीएस की टीम ने मंगलवार को कासना स्थित इस कंपनी पर दोबारा छापा मारा। फरहान नबी सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद से ही कंपनी की गतिविधियाँ एटीएस के रडार पर थीं।

पिछली कार्रवाई में, 7 नवंबर को, एटीएस ने फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। उस समय पता चला था कि Greater Noida कंपनी ऐसी आपत्तिजनक पुस्तकों का प्रकाशन कर रही थी जो धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ सकती थीं। इन पुस्तकों को छुपाने के लिए, इन्हें बड़ी चालाकी से आयुर्वेदिक दवाओं और आरओ मशीनों की सप्लाई के कागजात के साथ बाहर भेजा जा रहा था।

सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद, एटीएस की टीम ने इस कंपनी की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी। मंगलवार को की गई इस नवीनतम छापेमारी के दौरान, टीम ने वहाँ मौजूद रजिस्टरों और दस्तावेजों की गहन जांच की। इसके अलावा, कर्मचारियों के आवागमन का रिकॉर्ड भी देखा गया और सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए ताकि सभी संदिग्ध लिंक्स को जोड़ा जा सके।

गोपनीयता से हुई कार्रवाई, बड़े खुलासे की उम्मीद

बताया जा रहा है कि इस बार की Greater Noida छापेमारी पूरी तरह से गोपनीय रखी गई थी, और एटीएस टीम ने स्थानीय पुलिस को भी किसी तरह की पूर्व सूचना नहीं दी। इस तरह की उच्च स्तरीय गोपनीयता यह संकेत देती है कि एटीएस इस मामले की बारीकी से और व्यापक रूप से जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि एटीएस को इस प्रकरण से जुड़े और बड़े सुराग हाथ लगे हैं, और जल्द ही इस टेरर फंडिंग नेटवर्क में कोई बड़ा खुलासा हो सकता है।

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