नई दिल्ली: एक ऐसा देश, जिससे नाटो भी सीधे टक्कर लेने में थोड़ा संकोच करता है, वो है रूस (Russia) रूस अपनी सैना और हथियारों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। विश्व में रशिया के नाम की तूती बोलती है, लेकिन पिछले चार महीनों में हुए दो बड़े आतंकी हमलों के बाद रूस को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
इन आतंकी हमलों में पहला हमला 22 मार्च 2024 को मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुआ था। इसके बाद दूसरा हमला बीते रविवार 23 जून को दागिस्तान के दो शहरों में हुआ। रूस (Russia) के उत्तरी काकेशस क्षेत्र दागिस्तान में आतंकियों ने सिनेगॉग, दो चर्च और एक पुलिस पोस्ट को अपना निशाना बनाया। इन हमलों में 15 पुलिस अधिकारियों और एक पादरी समेत 15 से ज्यादा लोगों की मारे जाने की ख़बर है, तो वहीं 25 से ज्यादा लोग घायल बताए गए हैं।
हालांकि इसके जवाब में रूसी (Russia) सुरक्षाबलों ने इस हमले को अंजाम देने वाले 6 हमलावरों को भी मार गिराया है। रूस पर हुए इन आतंकी हमलों के बाद एक सवाल है जो अब खड़ा होने लगा है वो है, ये क्या यूकेन से युद्ध लड़ते-लड़ते अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कमजोर पड़ते जा रहे हैं।
बता दें, कि व्लादिमीर पुतिन के पांचवी बार राष्ट्रपति बनने के बाद चार महीनों में रूस पर दो बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं। इन हमलों के बाद पुतिन के शासन को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। 22 फरवरी साल 2022 से यूक्रेन के साथ रूस का युद्ध लगातार चला आ रहा है। इस युद्ध में दोनों देशों के हजारों लोग मारे जा चुके हैं, जबकि घायलों की तादात इससे कही ज्यादा है। इस वॉर में भले ही ज्यादा नुकसान यूक्रेन का हुआ हो, लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की छवि को भी विश्वभर में काफी कुछ झेलना पड़ा है।
इस युद्ध के चलते दुनिया के कई देशों ने रूस पर अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। इस वॉर के बीच 17 मार्च 2024 को पांचवी बार व्लादिमीर पुतिन ने रूस के राष्ट्रपति का चुनाव जीता था। इस जीत में पुतिन को 87 प्रतिशत वोट मिले थे। पांचवीं बार रूस का राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन के शासन में चार महीनों के अंदर दो बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा चुका है।
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पुतिन 24 साल से रूस की सत्ता पर काबिज हैं। साल 2000 में व्लादिमीर पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता था, उस दौरान उन्हें 53 फीसदी वोट मिले थे। लंबे समय से यूक्रेन के साथ युद्ध, कई देशों से बिगड़ते संबंध और दो बड़े आतंकी हमलों के बाद कहीं न कहीं व्लादिमीर पुतिन के कमजोर पड़ने की ओर इशारा तो नहीं कर रहा!