लखनऊ। वाराणसी जिला न्यायालय द्वारा विवादित परिसर में व्यास जी की तहखाना में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दिए जाने के बाद, यहां पूजा (धार्मिक पूजा) फिर से शुरू कर दी गई है. कार्यशाला में आचार्य गणेश्वर द्रविड़ ने सबसे पहले कलश स्थापित किया और फिर मंत्रों का उच्चारण कर आरती की और अन्य देवी-देवताओं के साथ गौरी-गणेश की पूजा-अर्चना की. उल्लेखनीय है कि एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार व्यास जी की कार्यशाला में मिली दस मूर्तियों में से आठ को कार्यशाला में पुनः स्थापित कर दिया गया है और वर्तमान में उनकी पूजा की जा रही है.
यह भी पढ़ें- Jharkhand: ईडी का शिकंजा टाईट, हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के खिलाफ पहुँचे सुप्रीम कोर्ट, कल होगी सुनवाई
तहखाने में शुरू हुई पूजा-अर्चना
बता दें कि व्यास जी के तहखाने में रखी सभी मूर्तियाँ खंडित हैं, जिनमें दो शिव लिंग भी शामिल हैं. यहां भगवान हनुमान की दो टूटी हुई मूर्तियाँ, भगवान विष्णु की एक टूटी हुई मूर्ति और देवी लक्ष्मी की एक टूटी हुई मूर्ति है. यहां भगवान गणेश की एक मूर्ति भी है और एएसआई खुदाई के दौरान मिले भगवान राम के नाम के शिलालेख की भी पूजा की जा रही है.
रामायण का निरंतर पाठ
गौरतलब है कि तहखाने में न सिर्फ मूर्तियों की पूजा की जाती है, बल्कि नौ दिनों तक रामायण का अखंड पाठ भी होता है. एक अखंड ज्योति जलाई गई है, जो निरंतर जलती रहेगी. रामायण के निरंतर पाठ के लिए, एक पुजारी की चार घंटे की शिफ्ट निर्धारित की जाती है, जिसमें छह पुजारी लगातार नौ दिनों तक निरंतर पाठ करते हैं. पाठ के प्रत्येक घंटे के बाद, पुजारी आरती करता है और अगले पुजारी के लिए रास्ता बनाते हुए कार्यशाला छोड़ देता है. रामायण का यह अखंड पाठ चलता आ रहा है. 1993 में, प्रथम वर्ष से पहले, इस कार्यशाला में तीन बार रामायण पाठ हुआ, जैसा कि हिंदू पक्ष ने दावा किया था.
यह भी देखें- Jharkhand CM Hemant Soren Arrest : हेमंत सोरेन को ED ने किया गिरफ्तार | Breaking News | BJP |