Landslides in India: भूस्खलन एक ऐसी घटना है जिसमें अचानक चट्टानें, मिट्टी और मलबा ऊपर से ढलान की ओर नीचे गिरने लगता है। यह प्राकृतिक तरीकें या फिर मानव-निर्मित कारणों के वजह से हो सकता है।
भूस्खलन तेज बारिश, भूकंप या ज्वालामुखीय में किसी तरह की हलचल या मानव गतिविधियां जैसे निर्माण, वनों की कटाई या फसल बदलने के कारण हो सकते हैं। भूस्खलन (Landslides in India) अचानक या धीरे-धीरे समय के साथ इन कारणों के वजह से हो सकता हैं।
भारत में भूस्खलन का इतिहास..
केदारनाथ, उत्तराखंड (2013) – इस भूस्खलन को भारी बारिश और बाढ़ के वजह से हुआ था। इसमें 5,700 से ज्यादा लोग मारे गए और 4,200 से ज्यादा गांव बह गए, जो देश की सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदाओं में से एक था।
दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल (1968) – 4 अक्टूबर को बाढ़ की वजह से पश्चिम बंगाल में एक भूस्खलन हुआ। जिसने 60 किमी लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग को 91 हिस्सों में काट दिया। इस आपदा में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए और संपत्ति, बुनियादी ढांचे और चाय के बागानों को काफी बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
गुवाहाटी, असम (1948) – सितंबर में भारी बारिश के कारण एक बड़ा भूस्खलन हुआ, जिसमें पूरा गांव दफन हो गया और 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
मपला गांव, उत्तर प्रदेश (1998) – अगस्त 1998 में सात दिनों तक लगातार भूस्खलन आते रहे। इस घटना में 380 से ज्याद लोगों की मौत हुई और पूरा का पूरा गांव खत्म हो गया।
मलिन गांव, महाराष्ट्र (2014) – 30 जुलाई को भारी बारिश की वजह से एक भूस्खलन हुआ, जिसमें लगभग 151 लोग की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोगों के लापता होने की भी खबर आई थी।
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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, भारत भूस्खलन आने की अधिक संभावना रहती है जिसका कारण इसकी टेक्टोनिक स्थिति है। भारत उत्तर दिशा की ओर 5 सेमी प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ रहा है, जिससे टेक्टोनिक प्लेट के बीच फ्रिक्शन होता है जिसकी वजह से भूस्खलन जैसी आपदाएं आती है।