नई दिल्ली: बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद भड़की हिंसा में सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों को भी अपना निशाना बनाया और कई हिंदुओं के घरों को जला दिया गया। इस बीच, बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ है और आज के दिन को बांग्लादेश के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि आज नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को एक अहम फैसला लेना है।
अब इस अहम फैसले लेने की वजह को भी जान लीजिए। दरअसल, बांग्लादेश में 15 अगस्त को मनाए (Bangladesh Crisis) जाने वाले राष्ट्रीय शोक दिवस को खत्म करने की मांग जोर-शोर के साथ उठ रही है। साल 1975 में इसी दिन शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई थी। शेख हसीना की सरकार ने 15 अगस्त को बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया था। इस मुद्दे पर डॉक्टर यूनुस ने BNP और सात अन्य दलों के नेताओं के साथ बैठक की है, जिसमें लगभग सभी दलों ने इस परंपरा को समाप्त करने की मांग की है।
बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी लगातार शेख मुजीबुर्रहमान की पहचान मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। तख्तापलट के दिन प्रदर्शनकारियों ने सबसे पहले शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा को तोड़ा था। बांग्लादेश में जहां-जहां उनकी प्रतिमाएं थीं, उन्हें ढहा दिया गया। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने बुलडोजर का इस्तेमाल कर इन प्रतिमाओं को (Bangladesh Crisis) नष्ट किया था। शेख हसीना की सरकार में मुजीबुर्रहमान को राष्ट्रपिता के रूप में दी गई पहचान को अब धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है।
आज बांग्लादेश के हिंदू छात्र संगठन अपनी 8 मांगों की सूची के साथ अंतरिम सरकार के प्रमुख के सामने प्रस्तुत होने को तैयार हैं। डॉक्टर मोहम्मद यूनुस हिंदू प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे, जहां हिंदुओं की वर्तमान चिंताओं पर चर्चा की जाएगी। हिंदू संगठन अपनी 8 मांगें प्रस्तुत करेगा, जिसमें हमलों के बाद पीड़ितों को मुआवजा देने के साथ-साथ अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून और अल्पसंख्यकों के लिए एक मंत्रालय की स्थापना की मांग शामिल है।
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बता दें, हिंदू सुरक्षा कानून की मांग इसलिए उठ रही है क्योंकि हालिया हमलों में 15 से 20 मंदिरों पर हमला हुआ है और लगभग 300 घरों को जला दिया गया है। मेहरपुर में कई हिंदू वकीलों के घरों को भी निशाना बनाकर आग लगा दी गई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी मानती है कि हिंदुओं की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है। अब देखना है कि अंतरिम सरकार इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या कदम उठाती है।