उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है कि अब राज्य के सभी विभागों के अधिकारी हर सोमवार यह सार्वजनिक रूप से बताएँगे कि उन्होंने कहां निरीक्षण किया, क्या खामियां मिलीं और इन खामियों को ठीक करने के लिए क्या कार्रवाई होगी। इसके लिए एक मानक रिपोर्ट‑फॉर्मेट भी जारी कर दिया गया है, जिसे अधिकारी भरकर भेजेंगे।अधिकारियों को खामियां दूर करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने होंगे।
हर सोमवार निरीक्षण रिपोर्ट भेजना होगा अनिवार्य
उत्तर प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (KGBV) के निरीक्षण में अब जिला स्तरीय अधिकारी हीलाहवाली नहीं कर सकेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने एक फाॅर्मेट जारी किया है। सरकारी आदेश के अनुसार, हर सोमवार निरीक्षण रिपोर्ट भेजना अनिवार्य होगा। रिपोर्ट में निरीक्षण स्थल, निरीक्षण से मिली कमियों का विवरण, जिम्मेदार अधिकारी, सुधार के लिए तय कदम और सुधार की समय सीमा जैसी जानकारी होनी चाहिए। इससे जनता, मीडिया और उच्च प्रशासन को पता चलेगा कि विभागों में कहां‑क्या समस्याएं हैं और उन्हें सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
पारदर्शिता बढ़ेगी और जवाबदेही सुनिश्चित होगी
अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण और रिपोर्टिंग का मकसद भ्रष्टाचार, अनियमितता, लापरवाही व कचरे‑गंदगी, कर्मचारी absenteeism आदि पर कड़ी नजर रखना है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जनता के हित से जुड़े काम चाहे स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा, ग़रीब सहायता, सफाई आदि सही ढंग से हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
इस ऐलान से कई लोग उम्मीद जता रहे हैं कि सरकारी तंत्र अब और जवाबदेही के साथ काम करेगा। यदि अधिकारी समय पर निरीक्षण व सुधार नहीं करेंगे और उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो जनता, मीडिया व प्रशासन द्वारा तुरंत सवाल उठाए जा सकेंगे। इस नए फॉर्मेट और रिपोर्टिंग व्यवस्था को लागू करना एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव माना जा रहा है। अब देखना होगा कि कितने अधिकारी इस आदेश का पालन करते हैं और जनता को काम की असल तस्वीर कब तक दिखाई देती है।










