दलित या पिछड़े चेहरे की चर्चा
समाजवादी पार्टी के अंदर और बाहर यह चर्चा थी कि (UP News) नया नेता दलित या पिछड़े समुदाय से होगा। कहा गया कि PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की बदौलत पार्टी ने लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन किया है, इसलिए इस सामाजिक इंजीनियरिंग को जारी रखा जाए। इसी कारण से पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीती थीं।
रेस में चार नाम, लेकिन सभी हुए बाहर
नए नेता के रूप में चार नाम चर्चा में थे: इंद्रजीत सरोज, तूफानी सरोज, राम अचल राजभर और शिवपाल यादव। शिवपाल यादव चाचा होने के कारण सबसे पहले रेस से बाहर हो गए। अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्री बनने का आश्वासन दिया। राम (UP News) अचल राजभर और इंद्रजीत सरोज बीएसपी से आए थे और मायावती के करीबी रह चुके थे, इसलिए दोनों के नाम कट गए। तूफानी सरोज की बेटी प्रिया एमपी बन चुकी हैं, इसलिए परिवारवाद के नाम पर उनका नाम भी हटा दिया गया।
माता प्रसाद पांडे को अचानक बुलावा
अचानक से दोपहर में (UP News) अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को पार्टी ऑफिस बुला लिया। वे कल देर रात भी अखिलेश से उनके घर पर मिल चुके थे। पांडेय अभी सिद्धार्थनगर के इटवा से विधायक हैं। वे लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। बैठक के दौरान उन्हें भी नहीं पता था कि उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाएगी। दोपहर बाद अखिलेश यादव के सहयोगी आशीष यादव का फोन आया और पांडेय को तुरंत मिलने को कहा गया। अखिलेश यादव ने उन्हें फैसले की जानकारी देते हुए बधाई दी।
ब्राह्मण कार्ड क्यों चला अखिलेश ने?
अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला सफल रहा है और अब उनकी नजर विधानसभा की 10 सीटों के उपचुनाव पर है। वे मुस्लिम-यादव समीकरण का विस्तार कर चुके हैं और अब उनकी नजर ब्राह्मण वोटरों पर है। ब्राह्मणों को बीजेपी से नाराज माना जा रहा है। अखिलेश ने ब्राह्मणों को आकर्षित करने के लिए माता प्रसाद पांडे को विधायक दल का नेता बना दिया है। यदि वे बीजेपी के ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहे तो बीजेपी को नुकसान होगा। यूपी में करीब 9 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर हैं।
चाचा को किनारे कर अखिलेश ने खेला ‘ब्राह्मण कार्ड’… जानिए कौन हैं नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय