Uttar Pradesh: मथुरा में पुलिस भर्ती से जुड़े एक गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई एसटीएफ और मथुरा पुलिस ने संयुक्त रूप से की। गैंग का मास्टरमाइंड और उसके एक साथी को हिरासत में लिया गया है। इस दौरान पुलिस ने भर्ती अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र, 46 मार्कशीट, और एक फर्जी कॉन्स्टेबल आईडी कार्ड भी बरामद किया है।
पुलिस भर्ती मामले में 2 लोग गिरफ्तार
मास्टरमाइंड अंकित पांडेय प्रयागराज (Uttar Pradesh) का निवासी है और वह आरपीएफ के सहायक कमांडेंट की गाड़ी चलाता था। सिविल सर्विस में असफल होने के बाद उसने अपराध की राह पकड़ ली। सोशल मीडिया पर उसने खुद को पुलिसकर्मी के रूप में प्रस्तुत किया।
पुलिस भर्ती में सॉल्वर मुहैया कराने के नाम पर उसने 9 लोगों से 1-1 लाख रुपये वसूले थे। पुलिस ने अंकित पांडेय और भूपेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।
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एसटीएफ आगरा ने क्या बताया?
एसटीएफ आगरा के निरीक्षक यतींद्र शर्मा ने बताया कि काफी समय से आगरा और आसपास के जिलों में फर्जी अंकतालिका बनाने और पुलिस भर्ती एवं डाक विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह की सूचना मिल रही थी।
शनिवार शाम को टीम ने हाईवे थाना क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट नगर तिराहा के पास छापा मारा और महोली सलेमपुर निवासी भूपेंद्र सिंह और प्रयागराज के अंकित पांडेय को गिरफ्तार कर लिया।
गिरोह में पांच से छह लोग हैं शामिल
अधिकारी ने बताया कि अंकित फिलहाल मथुरा के राधे एन्क्लेव में रह रहा था। उसने एसटीएफ को बताया कि उनके गिरोह में पांच से छह लोग शामिल हैं, जो विभिन्न भर्ती प्रक्रियाओं में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करते थे। इस गिरोह में मथुरा के रिषभ, भरतपुर के विश्वेंद्र, कौशांबी के सुरेंद्र, और गाजियाबाद के साजिद अली भी शामिल थे, जिनकी अब एसटीएफ तलाश कर रही है।
अंकित पूरे गिरोह का सरगना है और उसने खुलासा किया कि रिषभ और विश्वेंद्र गुर्जर के माध्यम से इन लोगों ने मथुरा और आसपास के नौ अभ्यर्थियों से पैसे लिए थे। पकड़े गए अंकित और भूपेंद्र के खिलाफ वाराणसी और प्रयागराज में पहले से तीन मामले दर्ज हैं और कुछ समय से ये गिरोह मथुरा में सक्रिय था।
100 से 150 लोगों को बनाया ठगी का शिकार
आरोपियों ने एसटीएफ को बताया कि डाक विभाग में ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट पोस्ट मास्टर के पदों की विज्ञप्ति निकलने पर वे अभ्यर्थियों से नौकरी लगवाने के नाम पर दो लाख रुपये प्रति व्यक्ति लेते थे। अभ्यर्थियों से जानकारी लेकर, अच्छे नंबरों की फर्जी अंकतालिका सुरेंद्र प्रताप सिंह और साजिद अली के माध्यम से तैयार कराते थे।
फर्जी अंकतालिकाओं का उपयोग करके डाक विभाग में आवेदन करते थे, लेकिन जब अभिलेखों की जांच हुई तो दो से तीन अभ्यर्थी पकड़े गए।
इस गिरोह ने अब तक 100 से 150 लोगों से 45 से 50 लाख रुपये ठगे हैं। पहले भी बिहार से सॉल्वर बैठाने के मामले में अंकित पांडेय का नाम कानपुर के कल्याणपुर थाने में आया था, लेकिन बाद में वह बच निकला।