PM Sheikh Hasina: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण में अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है। इस हिंसा में अब तक 39 लोग मारे जा चुके हैं। ढाका में लाठियों और पत्थरों से लैस हजारों छात्र सशस्त्र पुलिस बलों से भिड़ गए, जिससे 2500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए कई स्थानों पर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। चटगांव में राजमार्ग को अवरुद्ध करने वाले छात्रों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। बढ़ती हिंसा के कारण अधिकारियों ने गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं और मेट्रो रेल सेवा को भी बंद कर दिया।
शेख हसीना ने छोड़ा देश
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और देश की राजधानी ढाका छोड़ दी है। ऐसा माना जा रहा है कि अब बांग्लादेश की बागडोर सेना संभालेगी। शेख हसीना ने यह इस्तीफा ऐसे समय में दिया है जब देश में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन जारी हैं।
प्रदर्शनकारियों की क्या है डिमांड?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि छात्र सरकार से क्या मांग कर रहे हैं और बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण का कानून क्या है। दरअसल, बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं। इनमें से 30 प्रतिशत आरक्षण 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए है।
इसके अलावा, 10 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए और 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए है। इसके अतिरिक्त, पांच प्रतिशत आरक्षण जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिए है।
आखिर क्या है आरक्षण का पूरा विवाद?
इन सभी आरक्षण प्रणालियों में सबसे विवादित 30 प्रतिशत आरक्षण है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को दिया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रों का कहना है कि सरकार उन लोगों को आरक्षण देने के पक्ष में है जो शेख हसीना की सरकार का समर्थन करते हैं। छात्रों का आरोप है कि मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरियां नहीं दी जा रही हैं।
प्रदर्शन के दौरान 90 लोगों की मौत
ढाका से प्राप्त खबरों के अनुसार, रविवार को बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा बलों और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हुई भीषण झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 90 लोग मारे गए। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
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देशभर में लगाया गया कर्फ्यू
इस बीच, सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए देशभर में कर्फ्यू लगा दिया है। स्कूल-कॉलेजों और बाजारों को 3 दिनों के लिए बंद रखने का ऐलान किया गया है। हिंसा के मद्देनजर कई ट्रेनों का संचालन अगले आदेश तक रोक दिया गया है, और कपड़ा फैक्ट्रियों को भी बंद कर दिया गया है।
पुलिस ने लोगों से जहां तक संभव हो, घरों में रहने की अपील की है। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार सुबह 11 बजे देश में इंटरनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, हालांकि कुछ देर बाद इसे फिर से चालू कर दिया गया।
भीड़ ने तोड़ी शेख हसीना के पिता की प्रतिमा
भीड़ ने ढाका में शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) के पिता और बांग्लादेश के जनक, बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को भी तोड़ दिया। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना के दफ्तर को आग लगा दी। इसके बाद, प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के आवास में भी घुस आए।
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सेना के हाथ में कमान
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश सेना के प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, “हम आपकी मांगें पूरी करेंगे और देश में शांति बहाल करेंगे। हम इस देश को अंतरिम सरकार से चलाएंगे।” जनरल वकार-उज-जमान ने प्रदर्शनकारियों से अपील की, “तोड़फोड़, आगजनी और मारपीट से दूर रहें। अगर आप हमारे साथ मिलकर चलेंगे, तो हालात सुधरेंगे। हिंसा और संघर्ष से कुछ हासिल नहीं होगा। अराजकता से बचें।”