नई दिल्ली: बांग्लादेश (Bangladesh) में हुए तख्तापलट को दुनिया ने अपनी आंखों से देखा है। कैसे शेख हसीना के 15 सालों के शासन का अंत हुआ दुनिया उसकी गवाह रही। जुलाई के महीने में हुई हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बाद अब बांग्लादेश में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, हालांकि कुछ चुनौतियां अब भी बरकरार हैं।
नए अंतरिम सरकार के लिए राह आसान होती नज़र (Bangladesh) नहीं आ रही है। भले ही देश की कमान अब 84 साल के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के हाथ में हो, लेकिन उन्हें सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। मोहम्मद यूनुस के एक करीबी ने मीडिया को बताया कि देश की स्थिति में अब सुधार हो रहा है, लेकिन अभी सब कुछ पूरी तरह से सामान्य नहीं हुआ है। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा, व्यापक सुधारों के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे। दूसरी ओर यूनुस अंतरराष्ट्रीय सहायता और आर्थिक सहयोग की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
मोहम्मद यूनुस के मीडिया सलाहकार शफीकुल आलम ने बताया कि यूनुस ने बुधवार को ब्रिटिश उच्चायुक्त सारा कुक और जापानी राजदूत इवामा कीमिनोरी से मुलाकात की। इस मुलाकात में यूनुस ने बांग्लादेश (Bangladesh) और उसकी सरकार के पुनर्निर्माण के लिए ब्रिटेन और जापान से सहायता की मांग की है।
जापानी दूत ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति की तुलना दूसरे विश्व युद्ध के बाद के जापान से की है। जब जापान को सब कुछ तबाह होने के बाद शून्य से शुरुआत करनी पड़ी थी। वहीं, ब्रिटिश उच्चायुक्त ने चुनावी सुधारों के लिए तकनीकी सहायता का प्रस्ताव रखा है। आलम ने बताया कि सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता कानून व्यवस्था को बहाल करना है। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार ने ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत आने वाले सभी 50 पुलिस स्टेशनों के प्रमुखों का तबादला कर दिया है।
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बता दें, कि जापानी राजदूत और अंतरिम सरकार दोनों ने रोहिंग्या शरणार्थियों की सहायता जारी रखने पर जोर दिया है। यूनुस ने अपने पहले ही भाषण में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की थी कि वे रोहिंग्या समुदाय की मदद करें और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें।