Pea growing advice: मटर (Peas) एक ठंडी मौसम की फसल है और दिसम्बर में इसे घर पर उगाना सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। सर्दियों की हल्की धूप, ठंडी हवा और नम मिट्टी मटर के पौधों के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं, जिससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं और हरी-भरी फलीय उपज देते हैं। इससे घर के किचन गार्डेन में स्वादिष्ट, मीठी और पोषक तत्वों से भरपूर ताजी मटर उपलब्ध होती है, जो बाजार की मटर से कहीं बेहतर होती है।
सही किस्म और मिट्टी की तैयारी
मटर की बुवाई के लिए अक्टूबर से जनवरी का समय सबसे अच्छा रहता है और खासकर दिसंबर में यह प्रक्रिया फल-फूल कर तैयार होती है। घरेलू किचन गार्डन के लिए जल्दी तैयार होने वाली हाइब्रिड किस्म चुननी चाहिए, क्योंकि इससे फल जल्दी प्राप्त होते हैं और पौधा कम स्थान लेता है। मिट्टी की तैयारी में नरम, हल्की और अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसके लिए एक अच्छा मिश्रण तैयार किया जा सकता है:
- 50% किचन गार्डन मिट्टी
- 25% गोबर की खाद या कंपोस्ट
- 25% रेत या कोकोपीट
इन सामग्री को अच्छी तरह मिलाने से मिट्टी हल्की बनी रहती है और मटर की जड़ें जल्दी फैलती हैं, जिससे पौधे ज्यादा उपज देते हैं।
बीज बोने का सही तरीका
बेहतरीन उपज के लिए बीज बोने से पहले उन्हें 6–7 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं। गमले या क्यारी में 1–2 इंच गहरी मिट्टी खोदकर, हर बीज को 2–3 इंच की दूरी पर स्थिर करें और ऊपर हल्की मिट्टी से ढक दें। इसके बाद हल्का पानी दें, लेकिन पहले वाटरिंग में अत्यधिक पानी देने से बीज सड़ सकते हैं, इसलिए सावधानी रखें।
धूप, पानी और रोज़ाना देखभाल
मटर के पौधे को रोज़ाना कम से कम 4–5 घंटे धूप मिलना आवश्यक है। ठंडे मौसम में बार-बार पानी देना जरूरी नहीं है; 2–3 दिन में एक बार हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे, लेकिन कीचड़ या जलभराव न हो।
पौधे 6–8 इंच तक बढ़ने पर उन्हें सहारा देना सहायक होता है। लकड़ी की पतली छड़ियों या जूट रस्सी का जाल बनाकर पौधों को ऊपर चढ़ने का मार्ग देना चाहिए, जिससे पौधों को अच्छी हवा और धूप मिलती है और पैदावार बढ़ती है।
खाद, कीट प्रबंधन और जैविक तकनीक
हर 15–20 दिनों में हल्का कंपोस्ट डालें, क्योंकि मटर जैविक खाद में अच्छी उपज देता है और स्वाद भी बेहतर होता है। रासायनिक खाद का उपयोग कम से कम करें। यदि पौधों पर सफेद धब्बे या छोटे कीड़े दिखें, तो घर पर बने स्प्रे — जैसे 1 लीटर पानी में 2 चम्मच नीम का तेल और थोड़ा हल्दी मिलाकर — 7–10 दिन में एक बार छिड़कें। इससे कीट प्रबंधन में मदद मिलती है।
कटाई और ताज़गी का स्वाद
बीज बोने के लगभग 60–70 दिन बाद पौधे पर हरी-भरी फली लगने लगती है। जब फली अच्छी, मोटी और भरी हुई दिखे, तब उसे धीरे-धीरे तोड़कर ताजा मटर निकाल सकते हैं। नियमित रूप से मटर तोड़ते रहने से पौधे को नए फूल और फलियाँ लगाने का प्रोत्साहन मिलता है, जिससे साल भर ताजी मटर खाने का अवसर मिलता है।
दिसंबर में घर के किचन गार्डन या गमले में मटर उगाना आसान है, बशर्ते सही समय, मिट्टी, बीज, धूप और पानी का संतुलन रखा जाए। इससे न केवल खाने की गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि खुद के उगाए ताज़े पत्ते और फलियों का स्वाद भी अद्वितीय होता है।










