Bathua Kadi Recipe: सर्दियों का मौसम आते ही बाज़ारों में कई मौसमी हरी सब्जियाँ मिलती हैं, जिनमें बथुआ एक प्रमुख है। पुरानी परंपरा के अनुसार यह ठंड के दिनों में खाने से शरीर को गर्मी प्रदान करता है। बथुआ की कढ़ी, राजस्थान और उत्तर भारत के कई हिस्सों में घरों की खास डिश है, जिसे परंपरागत रूप से दादी‑नानी की याद दिलाने वाला स्वाद मिलता है। इसकी खुशबू, गाढ़ी बनावट और मसालों का संतुलन इसे सर्दियों के खाने का बेजोड़ विकल्प बनाता है।
बथुआ की कढ़ी न केवल स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि इसके पोषक तत्व भी शरीर को सर्दियों में ऊर्जा व गर्माहट देते हैं। बथुआ पत्तों में विटामिन, मिनरल और फाइबर होता है, जो पाचन में मदद करता है और प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
तैयारी के लिए सामग्री
बथुआ की कढ़ी को घर पर बनाना अपेक्षाकृत आसान है। इसके लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है:
- लस्सी – 1 किलो
- बथुआ – 4–5 कप (साफ़ किए हुए पत्ते)
- बेसन – 1 कटोरी
- प्याज – 1 (कटा हुआ)
- हरी मिर्च, अदरक का पेस्ट, धनिया – स्वादानुसार
- गरम मसाला, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी, नमक
- जीरा पाउडर, जीरा और राई के दाने
- करी पत्ता और सूखी लाल मिर्च
- सरसों का तेल – 2 बड़े चम्मच
- भुना हुआ धनिया – सजावट के लिए (वैकल्पिक)
- पानी – आवश्यकतानुसार
ये सामग्री पारंपरिक कढ़ी के तत्वों को मिलाकर तैयार की जाती है, जिससे एक पूरी तरह से संतुलित स्वाद मिलता है।
बथुआ कढ़ी बनाने की आसान विधि
सबसे पहले एक बड़ी कटोरी में लस्सी (दही) और बेसन लें। इसमें हल्दी, नमक और थोड़ा पानी मिलाकर एक सुथरा मिश्रण तैयार करें, ध्यान रहे कोई गुठलियाँ न रहें। इसे अच्छे से फेंटकर अलग रख दें। एक कड़ाही में सरसों का तेल गरम करें। इसमें जीरा, राई, करी पत्ता और सूखी लाल मिर्च डालें। मसालों की सुगंध आने लगे तो कटी प्याज और हरी मिर्च डालकर सुनहरा भूरा होने तक भूनें। अब अदरक‑लहसुन का पेस्ट और अन्य पिसे मसाले मिलाकर कुछ मिनट पकाएँ। इसके बाद बथुआ पत्तों को कड़ाही में डालें और ढककर नरम होने तक पकाएँ। पत्ते जब सॉफ़्ट हो जाएँ, तब उसमें पहले तैयार दही‑बेसन का मिश्रण डालकर अच्छी तरह मिलाएँ। अब धीमी आंच पर पकाएँ जब तक कढ़ी में मिलावट गाढ़ी हो जाए और उसमें उबाल आ जाए। आवश्यकता अनुसार थोड़ा और पानी मिलाकर कंसिस्टेंसी सेट करें। अंत में स्वादानुसार नमक और गरम मसाला डालें।
प्रस्तुति और परोसने के सुझाव
बथुआ की गाढ़ी कढ़ी को आप गरमा‑गरम चावल, फुल्का या पराठे के साथ सर्व कर सकते हैं। ऊपर से ताज़ा धनिया छिड़कने से इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है। चावल‑कढ़ी का संयोजन पारंपरिक भारतीय भोजन का एक सटीक उदाहरण है, जो सर्दियों में खास रूप से आनंददायक होता है।
स्वास्थ्य लाभ और निष्कर्ष
बथुआ की कढ़ी स्वाद में समृद्ध होने के साथ स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभदायक है। यह सर्दियों में पाचन को सुगम बनाती है, पोषक तत्व प्रदान करती है तथा शरीर को ऊर्जा देती है। बथुआ की तासीर गर्म होती है, जिससे यह ठंड में शरीर को अंदर से गर्म रखती है। यदि आप बथुआ की कढ़ी पहली बार बना रहे हैं, तो ऊपर दिए गए चरणों का पालन करके इसे सरलता से तैयार कर सकते हैं, जिससे पूरा परिवार इसका स्वाद चखते हुए उंगलियाँ चाटे।










