FAFO Parenting:आजकल मॉडर्न पेरेंट्स के बीच एक नया तरीका तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसका नाम है FAFO Parenting। भले ही ये शब्द नया लगता हो, लेकिन इसका सिद्धांत बहुत पुराना है।बच्चे अपनी गलती से खुद सीखें।
FAFO का मतलब होता है “F* Around and Find Out”, यानी जब तक खुद गलती करके न समझो, तब तक सीख नहीं होती। इस पेरेंटिंग स्टाइल में माता-पिता बच्चों को उनके फैसलों का नतीजा खुद भुगतने देते हैं। इसका मकसद ये नहीं कि बच्चों को अनदेखा किया जाए, बल्कि उन्हें यह समझने का मौका दिया जाए कि हर काम का एक असर होता है।
कैसे काम करता है FAFO पेरेंटिंग?
इस पद्धति में पैरेंट्स बच्चों को हर बार रोकने या सजा देने की बजाय, नेचुरल रिजल्ट का सामना करने देते हैं। जैसे, अगर बच्चा ठंड में जैकेट पहनने से मना करता है, तो उसे थोड़ी देर सर्दी महसूस करने दी जाती है, ताकि अगली बार वह खुद समझ जाए कि जैकेट क्यों जरूरी है। इसी तरह, अगर बच्चा होमवर्क करना भूल गया, तो उसे स्कूल में टीचर की डांट का सामना करने दिया जाता है। इस तरीके में बच्चे को खुद अनुभव होता है कि लापरवाही का क्या असर होता है।
क्यों हो रहा है यह ट्रेंड पॉपुलर?
FAFO पेरेंटिंग न तो बहुत सख्त होती है, और न ही जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार वाली। यह जेंटल पेरेंटिंग और हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के बीच का संतुलित तरीका है। इसके फायदे भी साफ हैं:
बच्चों में आत्मनिर्भरता आती है।
निर्णय लेने की समझ विकसित होती है।
हर फैसले के नतीजों की समझ बनती है।
बच्चों और माता-पिता के बीच कम बहस होती है।
पैरेंट्स को हर चीज पर कंट्रोल नहीं रखना पड़ता, जिससे उनका तनाव भी कम होता है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि हर छोटी-बड़ी बात पर बच्चों को बचाते रहना उन्हें कमजोर बना सकता है। जब बच्चे अपनी गलती से सीखते हैं, तो वे ज्यादा मजबूत और समझदार बनते हैं। FAFO पेरेंटिंग से बच्चे यह सीखते हैं कि हर काम का एक नतीजा होता है और उस नतीजे को समझना जरूरी है। इससे वे बेहतर इंसान बनते हैं। जो आगे चलकर जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
FAFO पेरेंटिंग का मकसद बच्चों को आज़ादी देना नहीं, बल्कि उन्हें सिखाना है कि उनकी हर एक्शन की एक रिएक्शन होती है। यह तरीका उन्हें जीवन के असली सबक सिखाता है।बिना ज्यादा सख्ती और बिना ओवर प्रोटेक्शन के।