Habits in Kids and Parents’ Role हर इंसान की ज़िंदगी उसकी आदतों से ही बनती है। अच्छी आदतें इंसान को मजबूत और समझदार बनाती हैं, जबकि बुरी आदतें धीरे-धीरे शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती हैं। बच्चों में ये असर और भी ज्यादा होता है क्योंकि वो अभी सही और गलत के बीच का फर्क ठीक से नहीं समझ पाते। ऐसे में अगर माता-पिता समय रहते इन बातों पर ध्यान न दें, तो आगे चलकर दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
खराब खानपान और कम फिजिकल एक्टिविटी
आजकल बच्चों की खाने की आदतें बिल्कुल बिगड़ गई हैं। उन्हें घर का पौष्टिक खाना पसंद नहीं आता, बल्कि बाहर का तला-भुना या पैकेट वाला फूड ज्यादा पसंद आता है। ऊपर से मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम्स ने बच्चों को घर में ही सीमित कर दिया है। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ता है। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की डाइट और एक्टिविटी दोनों पर बराबर ध्यान दें।
बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम
बच्चों का घंटों मोबाइल या टीवी से चिपके रहना अब आम बात हो गई है। कई बार माता-पिता खुद भी बच्चों को चुप कराने के लिए उनके हाथ में मोबाइल थमा देते हैं। लेकिन इसका बुरा असर बच्चे की सोचने-समझने की क्षमता, ध्यान लगाने की शक्ति और सामाजिक व्यवहार पर पड़ता है।
पढ़ाई और खेलने में बैलेंस न होना
पढ़ाई जरूरी है लेकिन सिर्फ पढ़ाई ही सब कुछ नहीं। बच्चों को खेलने का भी उतना ही हक है। आजकल छोटी उम्र में ही बच्चों पर इतना पढ़ाई का दबाव डाल दिया जाता है कि वे तनाव और घबराहट का शिकार हो जाते हैं। इससे उनका मानसिक विकास प्रभावित होता है और वे जल्दी थकने लगते हैं।
घर का माहौल अगर नकारात्मक हो
बच्चा जिस माहौल में पलता है, उसी से उसका स्वभाव बनता है। अगर घर में रोज लड़ाई-झगड़े हों या बच्चे को बार-बार डांटा जाए, तो उसका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। बच्चे ऐसे माहौल में चुपचाप और घबराए रहने लगते हैं और उनका इमोशनल इंटेलिजेंस भी कम हो जाता है।
बच्चों की भावनाओं को न समझना
अक्सर माता-पिता अपने बिजी शेड्यूल में बच्चों को समय नहीं दे पाते। उन्हें लगता है कि खिलौने, अच्छे कपड़े या महंगे गैजेट देकर वे बच्चों की खुशियां खरीद सकते हैं। जबकि बच्चे इन सब चीजों के साथ-साथ प्यार, समझदारी और साथ की भी जरूरत महसूस करते हैं। बच्चों की भावनाओं को समझना और उन्हें समय देना पैरेंट्स की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
समय रहते सुधारें ये आदतें
बच्चों की बुरी आदतें समय के साथ गहरी होती जाती हैं और आगे चलकर उनकी ज़िंदगी को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि पैरेंट्स इन संकेतों को समझें और प्यार, समय और सही गाइडेंस से बच्चों की अच्छी परवरिश करें। यही बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाने की पहली सीढ़ी है।