नई दिल्ली: बच्चों की देखभाल और उनके लालन-पालन का दायित्व सबसे ज्यादा माता-पिता का होता है। पैरेंट्स अपने बच्चों के जन्म से लेकर उनके युवा होने या कह लीजिए जब तक वो अपने बच्चों के साथ रहते हैं, उनका विशेष ध्यान रखने में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। अपनी आय और हैसियत के हिसाब से बच्चे को वो हर सुविधा देने में लगे रहते हैं, जिसे वो देने में सक्षम होते हैं। माता-पिता अपने बच्चे का हर तरीके से ख्याल रखना चाहते हैं। कुछ पैरेंट्स तो अपने बच्चों की केयर को लेकर इतने ज्यादा चिंतित होते हैं कि बच्चों को सुरक्षित महसूस कराने और उनकी देख-रेख के लिए उनके साथ ही सोते हैं, लेकिन लाड-प्यार और केयर के चलते कई बार माता-पिता ये भूल जाते हैं कि बच्चों के साथ सोना दोनों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। आज के इस लेख के माध्यम से जानेंगे किस उम्र में पैरेंट्स को बच्चों के साथ सोना बंद कर देना चाहिए।
किस उम्र तक माता-पिता को बच्चों के साथ सोना चाहिए ?
न्यूयॉर्क (New York) की बाल चिकित्सक (Pediatrician) डॉ.रेबेका फिस्क (Dr. Rebecca Fisk) का कहना है कि, मैं माता-पिता को हमेशा कहती हूं कि बच्चों के साथ एक ही बेड पर सोना उनका अपना निजी फैसला है। यह कोई मेडिकल निर्णय नहीं है। एक वेबसाइट से बात के दौरान चिकित्सक ने कहा, माता-पिता को कभी भी 12 महीने से कम उम्र के बच्चों के साथ बेड शेयर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे SIDS (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम) और दम घुटने से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
बात को जारी रखते हुए बाल चिकित्सक ने आगे कहा, अगर आप अपने बच्चों के साथ सो रहे हैं, तो इस बात का ख्याल रखें कि उसे दिन भर में अच्छी तरह से आराम मिला हो। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है, तो साथ सोने के अलावा आपके पास और भी कई विकल्प हैं। जैसे आप कमरे में एक्स्ट्रा बिस्तर रख सकते हैं।
वहीं बच्चों के साथ बेड शेयरिंग पर चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट (बाल मनोवैज्ञानिक) एलिजाबेथ मैथिस (Elizabeth Mathis) ने कहा, बच्चों के साथ बेड शेयर करना कई बार काफी अच्छा भी साबित होता है, खासकर उस समय जब माता-पिता दोनों अलग-अलग रहते हैं। मैथिस का कहना है कि जिन लोगों के साथ आप सेफ फील करते हैं, उनके आस-पास रहने से आपको काफी अच्छा महसूस होता है।
इस उम्र में बच्चों के साथ नहीं सोना चाहिए
पैरेंट्स को जब अपने बच्चों के शरीर में बदलाव दिखने लगे, तो उन्हें बच्चों के साथ सोना बंद कर देना चाहिए। इस स्टेज को प्री-प्यूबर्टी (यौवनारम्भ, Puberty) कहते हैं। प्यूबर्टी या प्री-प्यूबर्टी उस समय को कहा जाता है, जब आपके बच्चे की बॉड़ी में चेंजेस यानि यौन रूप से परिपक्व होने लगता है। इस दौरान लड़कों में दाड़ी-मूंछ और प्राइवेट पार्ट में वृद्धि जैसे शारीरिक परिवर्तन होते हैं, वहीं लड़कियों में स्तन (Breast) का विकास होने लगता है। डॉ.रेबेका फिस्क (Dr. Rebecca Fisk) के अनुसार, ‘प्री-प्यूबर्टी के दौरान बच्चों के साथ सोना बंद कर देना चाहिए।’
प्यूबर्टी शुरु होने की उम्र लड़कों में 12 साल और लड़कियों में 11 साल होती है, लेकिन कई मामलों में ये 8 साल से 13 साल के बीच भी शुरु हो जाती है, वहीं लड़कों के कई कैसो में यह 9 साल की उम्र से 14 साल की उम्र के बीच शुरु होती है।