Mother’s milk helps baby sleep naturally बात बहुत आम है लेकिन वजहें बेहद खास हैं। आपने कई बार देखा होगा कि जब नन्हा बच्चा मां का दूध पीता है, तो कुछ ही मिनटों में उसकी आंखें बंद होने लगती हैं और वो गहरी नींद में चला जाता है। माता-पिता इसे आम तौर पर पेट भरने का असर मानते हैं, लेकिन इसके पीछे शरीर और दिमाग से जुड़ी कई वैज्ञानिक बातें छिपी होती हैं।
दूध से बनते हैं स्लीप हार्मोन
जब बच्चा दूध पीता है, तब उसके शरीर में ट्रिप्टोफैन नाम का एक एमिनो एसिड एक्टिव होता है। यह दिमाग में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे हार्मोन को बढ़ाता है, जो नींद लाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
दूध से पेट भरता है और शरीर रिलैक्स होता है
नवजात शिशुओं का पेट बहुत छोटा होता है। जैसे ही वो दूध पीते हैं, पेट भरने की वजह से शरीर आराम की अवस्था में चला जाता है। यह आराम उन्हें नींद की तरफ ले जाता है।
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सकिंग मोशन से मिलता है मानसिक सुकून
बच्चा जब दूध पीता है, तो उसका मुंह सकिंग यानी चूसने की क्रिया करता है। ये क्रिया दिमाग को शांत करती है और नींद का संकेत देती है।
मां के दूध में होते हैं शांत करने वाले तत्व
दूध में मौजूद ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन जैसे हॉर्मोन बच्चे को सुकून देते हैं। इसके साथ दूध में मिलने वाला केसिन और लैक्टोज धीरे-धीरे एनर्जी रिलीज करते हैं जिससे नींद और गहरी होती है।
दूध एक नैचुरल नींद टॉनिक है
पेडियाट्रिक साइंस कहता है कि बच्चों की भूख और नींद आपस में जुड़ी होती है। दूध पीना उनकी बॉडी क्लॉक के लिए नींद का इशारा होता है।
डॉक्टर्स की राय क्या है?
अगर बच्चा दूध पीते ही सो जाता है तो यह सामान्य और हेल्दी प्रक्रिया है। लेकिन अगर बच्चा अधूरा दूध पीकर सोता है और उसका वजन नहीं बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।