यूपी में भाजपा (BJP) ने बुर्के के जरिये हो सकने वाले फर्जी मतदान को रोकने के लिए अपनी तैयारी की है। इसके तहत, प्रत्येक पोलिंग बूथ पर एक महिला कार्यकर्ता को तैनात किया जाएगा, जो बुर्का पहनकर वोट डालने वाली महिलाओं की जांच करेगी। यूपी के मुस्लिम आबादी वाले बूथों पर भी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की महिला कमिटी के सदस्य तैनात रहेंगी। हर बूथ पर उसी मोहल्ले की कमिटी मेंबर को तैनात किया जाएगा। इसके साथ ही, बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान करने वालों को चिन्हित करके संबंधित अधिकारियों को भी अवगत किया जाएगा। यह प्रयोग लोकसभा चुनाव के पहले चरण में किया जाएगा।
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क्या होता है फर्जी मतदान?
‘फर्जी मतदान’ का अर्थ होता है किसी अन्य व्यक्ति के नाम से वोट डालना। यह चुनाव के दौरान अपराधिक प्रक्रिया को परिभाषित करता है और इसे आईपीसी (IPC) की धारा 171डी में व्यवस्थित किया गया है। यदि कोई व्यक्ति चुनाव के समय किसी अन्य व्यक्ति के नाम से वोट डालता है, तो वह फर्जी मतदान का अपराध करता है।
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क्या कह रहा है मुस्लिम पक्ष?
मुस्लिम पक्ष इस नई पहल के बारे में विभिन्न दृष्टिकोण से अपनी राय रख रहा है। वे इस प्रयोग को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की खिलाफ़ देख रहे हैं। उनका कहना है कि यह उनके वोटरों की निजी और व्यक्तिगत जानकारी को खतरे में डाल सकता है और यह उनके निजी अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये अधिकार भाजपा को कैसे मिला?
क्या आजतक मिले हैं बुर्क़े के खिलाफ साबुत?
अतीत में ऐसे आरोप और उदाहरण सामने आए हैं जहां बुर्का पहने व्यक्तियों पर फर्जी मतदान का संदेह था। हालाँकि, इन आरोपों का अक्सर विरोध किया गया है और सावधानीपूर्वक जांच की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए, 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान, सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि बुर्का पहने महिलाओं को चुनावी धोखाधड़ी करते हुए दिखाया गया है। हालाँकि, यह वीडियो असंबंधित पाया गया और वास्तव में 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का था।
एक अन्य उदाहरण में, भाजपा नेता संजीव बालियान ने मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में “बुर्का पहने” मतदाताओं द्वारा फर्जी मतदान का आरोप लगाया और मांग की कि उनके चेहरों की जांच की जाए।