Lucknow में जाम से राहत की ओर कदम: नए 4 लेन पुल का निर्माण शुरू, 5 लाख लोगों को मिलेगा लाभ

लखनऊ में जाम से निजात दिलाने के लिए गोमती नदी पर नए चार लेन पुल का निर्माण शुरू हो गया है। इससे करीब पांच लाख लोगों को राहत मिलेगी। पुराने लाल पुल के समानांतर यह नया पुल 2027 तक बनेगा।

Lucknow

Lucknow bridge construction: लखनऊ की जाम की पुरानी समस्या को हल करने की दिशा में एक अहम पहल की गई है। गोमती नदी पर बने ऐतिहासिक ‘लाल पुल’ के सामान्तर अब एक आधुनिक चार लेन आर्च सेतु का निर्माण शुरू हो गया है। रविवार को क्षेत्रीय Lucknow विधायक डॉ. नीरज बोरा ने भूमि पूजन कर इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारंभ किया। 92 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा यह पुल वर्ष 2027 तक तैयार होगा और चौक, खदरा, मदेयगंज, फैजुल्लागंज, डालीगंज, त्रिवेणीनगर सहित आसपास की करीब पांच लाख आबादी को बड़ी राहत देगा। नए पुल के निर्माण से पुराने और जर्जर हो चुके लाल पुल पर यातायात का बोझ कम होगा और भारी वाहनों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो सकेगा।

ब्रिटिश कालीन पुल के समानांतर बन रहा आधुनिक सेतु

Lucknow के इतिहास में दर्ज लाल पुल, जिसे हार्डिंग ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, अब अपनी उम्र पूरी कर चुका है। भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक के चलते यह पुल स्थानीय लोगों के लिए असुविधा का कारण बन रहा था। इसी समस्या को देखते हुए नए पुल की आवश्यकता महसूस की गई। गोमती नदी Lucknow पर बन रहे नए 180 मीटर लंबे और 20 मीटर चौड़े इस आर्च सेतु के दोनों ओर फुटपाथ भी बनाए जाएंगे, जिससे पैदल यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी।

2027 तक पूरा होगा निर्माण कार्य

92 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस पुल का निर्माण कार्य जून 2027 तक पूरा किया जाना प्रस्तावित है। निर्माण कार्य की देखरेख के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम तैनात की गई है। डॉ. नीरज बोरा ने बताया कि यह पुल पूर्व निर्मित आर्च सेतु की शैली में ही तैयार किया जाएगा और यह पुराने पुल की विरासत को सम्मान देते हुए आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जाएगा।

इतिहास से वर्तमान तक का सफर

इस अवसर पर विधायक डॉ. बोरा ने बताया कि 1780 में नवाब आसिफुद्दौला द्वारा शाही पत्थर का पुल बनवाया गया था, जिसे पार करने पर टैक्स वसूला जाता था। 1911 में अंग्रेजों ने पुराने पुल को कमजोर मानते हुए तोड़कर नया पुल बनवाया था, जिसका उद्घाटन 10 जनवरी 1914 को लॉर्ड हार्डिंग ने किया था। यही पुल आज लाल पुल या पक्का पुल के नाम से जाना जाता है। अब इतिहास के साथ विकास की नई इबारत लिखी जा रही है।

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