Prayagraj : महाकुंभ, जो धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, इस बार किसी और कारण से चर्चा में है। लंदन के प्रसिद्ध न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. इटिएल ड्रोर ने महाकुंभ में हिस्सा लिया और भारतीय संस्कृति और चाय की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे एक अद्भुत अनुभव बताया, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उनका यह अनुभव भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर और भी खास बनाता है।
भारत की चाय और संस्कृति का जादू
डॉ. ड्रोर ने खासतौर पर भारत की चाय की तारीफ करते हुए कहा, भारत की चाय सबसे बेहतरीन है। इसका स्वाद और सुगंध ऐसी है कि कोई इसे नकार नहीं सकता। उनके मुताबिक, महाकुंभ के दौरान भारतीय संस्कृति, आम जीवन और अध्यात्म को महसूस करने का जो मौका मिला, वह बेहद खास था। उन्होंने इस आयोजन को “अतुल्य” कहा और बताया कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी है।
ब्रिटिश शासन और भारतीय युवाओं की ऊर्जा
डॉ. ड्रोर ने भारत के युवाओं की भी खूब तारीफ की। उनका कहना था कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन भारतीय युवाओं ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को संभालकर रखा। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही अंग्रेजों ने भारत में ट्रेन नेटवर्क विकसित किया, लेकिन उनका मकसद केवल भारत से संसाधन ले जाना था। इसके बावजूद, भारतीय समाज ने अपनी स्थिरता और ताकत को बनाए रखा।
अद्वितीय आयोजन
महाकुंभ के बारे में बात करते हुए डॉ. ड्रोर ने इसे एक अद्वितीय आयोजन कहा। उन्होंने बताया कि महाकुंभ में हर तरफ ऊर्जा और उत्साह का माहौल था। उन्होंने भारतीय राजनीति पर ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों को लेकर अपनी संवेदनशीलता व्यक्त की। उनका कहना था कि भारत का हर कोना आत्मविश्वास और सकारात्मकता से भरा हुआ है।
70 देशों के अनुभव के बाद भारत सबसे खास
डॉ. इटिएल ड्रोर ने बताया कि उन्होंने 60 से 70 देशों का दौरा किया है, लेकिन भारत जैसा कोई देश नहीं है। उन्होंने भारत की संस्कृति, लोगों और यहां के अनुभवों को यादगार बताया। उनके मुताबिक, महाकुंभ जैसा आयोजन भारत की सांस्कृतिक ताकत और परंपराओं को दुनिया के सामने लाने का सबसे अच्छा उदाहरण है।