Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ अब समाप्त हो चुका है। इस आस्था के पर्व में करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। भारत के विभिन्न हिस्सों से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग इस पवित्र मेले का हिस्सा बनने पहुंचे। श्रद्धालुओं ने न सिर्फ स्नान किया, बल्कि संगम का जल और मिट्टी भी अपने साथ ले गए।
143 देशों तक पहुंचा संगम का जल
संगम का पवित्र जल केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह दुनिया के 143 देशों तक भेजा गया। इन देशों में विशेष अतिथियों को अक्षयवट के पत्तों के साथ यह जल उपहार स्वरूप दिया गया। सरकार ने खासतौर पर बनाए गए पैकेट्स के जरिए इस जल को इन देशों में पहुंचाया, जिससे यह पवित्रता और आस्था का संदेश पूरी दुनिया में फैला सके।
विशिष्ट अतिथियों को मिला अनोखा तोहफा
महाकुंभ में कई देशों के राजनयिक और विशेष अतिथि शामिल हुए। उन्होंने संगम में स्नान करके भारतीय संस्कृति को करीब से जाना और अनुभव किया। उनके अनुभव को और खास बनाने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने विशेष तोहफे तैयार किए। इन तोहफों में पवित्र अक्षयवट के पत्ते और एक कलश में संगम का जल रखा गया था। 143 देशों से आए इन मेहमानों को विदाई के समय यह उपहार दिया गया। इन खास बॉक्स को बनाने का निर्देश मुख्य विकास अधिकारी (CDO) द्वारा दिया गया था।
हर घर तक पहुंचा संगम का जल
भारत के अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु प्रयागराज आए और संगम में डुबकी लगाई। स्नान के बाद वे संगम का जल अपने घर ले जाने के लिए विशेष बोतलें लेकर आए थे। कुछ श्रद्धालु पहले से ही पैक किए हुए जल को अपने साथ ले गए, तो कुछ ने संगम से खुद पानी भरकर घर ले जाने की परंपरा निभाई। इस तरह यह पवित्र जल न केवल भारत के हजारों घरों में पहुंचा, बल्कि 143 देशों तक भी इसका प्रसार हुआ।