Lauren Powell at MahaKumbh: प्रयागराज कुंभ 2025 में इस बार एक खास नाम जुड़ने जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक, एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल महाकुंभ में शामिल होने आ रही हैं। आध्यात्मिक गुरु कैलाशनंद महाराज के साथ वह चार-पांच दिन शिविर में रहेंगी और ध्यान, योग, साधना जैसे आध्यात्मिक क्रियाकलापों में हिस्सा लेंगी। महाराज ने बताया कि इस प्रवास के दौरान उन्हें “कमला” नाम दिया जाएगा और उनका गौत्र भी तय किया जाएगा। लॉरेन का यह दूसरा भारत दौरा है, जो पूरी तरह से व्यक्तिगत और आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए है। कुंभ के इस आयोजन में लॉरेन के साथ कई और अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के भी शामिल होने की संभावना है।
कैलाशनंद महाराज ने दी जानकारी
निरंजनी अखाड़ा के प्रमुख संत कैलाशनंद महाराज ने बताया कि लॉरेन पावेल आध्यात्मिक रुचि के चलते MahaKumbh में आ रही हैं। उनके शिविर में लॉरेन ध्यान, तप, योग और साधना करेंगी। महाराज ने बताया कि लॉरेन उन्हें अपना गुरु मानती हैं और इस यात्रा के दौरान उनसे मन में उठने वाले कई सवालों पर चर्चा करेंगी।
लॉरेन के लिए खासतौर पर “कमला” नाम रखा गया है, जिसे उनके आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक माना जाएगा। उनके शिविर प्रवास के दौरान वह कल्पवास भी करेंगी, जो बेहद कठिन तपस्या मानी जाती है। महाराज ने कहा, “संसार के बड़े लोग अक्सर आत्मिक शांति के लिए महापुरुषों की शरण में आते हैं। लॉरेन का यहां आना भी इसी आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा है।”
अमेरिका में भी हैं महाराज के अनुयायी
कैलाशनंद महाराज के शिष्य व्यासानंद अमेरिका में निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर के रूप में लोकप्रिय हैं। व्यासानंद महाराज से जुड़े कई अनुयायी अमेरिका में हैं, जिनमें लॉरेन पावेल भी शामिल हैं। कुंभ के दौरान लॉरेन के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के आने की संभावना को लेकर महाराज ने कहा कि भारत की परंपराएं और संस्कृति अब वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रतीक
MahaKumbh मेला सनातन धर्म की परंपराओं को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। कैलाशनंद महाराज ने बताया कि पश्चिमी देशों से जुड़ी कई बड़ी हस्तियां कुंभ में आ सकती हैं। यह मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी बड़ा मंच है।
Lauren Powell का कुंभ में शामिल होना भारत की आध्यात्मिक धरोहर की बढ़ती स्वीकार्यता का प्रमाण है।