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मेक इन इंडिया ने किया कमाल, डिफेंस एक्स्पोर्ट में भारत ने रचा नया इतिहास…

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में जानकारी दी कि 2024-25 में भारत ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों का अब तक का सबसे अधिक 23,622 करोड़ रुपये का निर्यात किया है। इसमें गोला-बारूद, हथियार और अन्य कई सामग्रियां शामिल हैं।

Gulshan by Gulshan
April 2, 2025
in Latest News
Defenc Export
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Defenc Export : भारत के रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का असर अब साफ दिखने लगा है। देश न सिर्फ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि रक्षा उत्पादों के निर्यात में भी नए मुकाम हासिल कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत अब बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर रहने के बजाय अपने रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रहा है। वर्तमान में 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, रक्षा उप-प्रणालियां और अन्य सैन्य उपकरण भेजे जा रहे हैं।

डिफेंस एक्सपोर्ट में नया रिकॉर्ड 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 23,622 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया, जो पिछले साल की तुलना में 12.04% अधिक है। इसमें गोला-बारूद, हथियार और अन्य रक्षा सामग्री शामिल हैं।

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विदेशों में भारतीय रक्षा उत्पादों की बढ़ती मांग 

सरकार की स्वदेशी उत्पादन नीति और ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक अहम खिलाड़ी बना दिया है। वर्ष 2024-25 में 1,762 रक्षा निर्यात प्राधिकरण जारी किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17.4% ज्यादा हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

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भारत ने वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने के लिए सरकार रक्षा निर्माण में निवेश बढ़ा रही है, नई तकनीकों को अपना रही है और निजी कंपनियों की भागीदारी को भी बढ़ावा दे रही है। रक्षा क्षेत्र में यह ऐतिहासिक बढ़ोतरी ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को और मजबूती देती है। यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

65 प्रतिशत रक्षा उपकरण बनाता है भारत 

भारत रक्षा क्षेत्र में उन्नत सैन्य प्लेटफॉर्म्स के विकास ने उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। इसमें धनुष तोपखाना प्रणाली, उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक, तेजस हल्का लड़ाकू विमान, उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर और आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे स्वदेशी उपकरण शामिल हैं। इसके साथ ही नौसेना के लिए स्वदेशी विमानवाहक पोत, पनडुब्बियां, फ्रिगेट और गश्ती जहाज भी इस सूची का हिस्सा हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अब भारत में 65 प्रतिशत रक्षा उपकरणों का निर्माण हो रहा है।

निजी क्षेत्र की 21 प्रतिशत भागीदारी

पहले भारत अपनी रक्षा जरूरतों का 65-70 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात करता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। देश के मजबूत रक्षा औद्योगिक ढांचे में 16 डीपीएसयू, 430 से अधिक लाइसेंसशुदा कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई शामिल हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कुल रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान 21 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
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भारत के रक्षा निर्यात में हर साल 32.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा रही है। निर्यात सूची में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (Do-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज इंटरसेप्टर नौकाएं और हल्के टॉरपीडो जैसे उत्पाद शामिल हैं। भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहा है, जिसमें 2023-24 में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया प्रमुख खरीदार रहे।

50 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य

रक्षा मंत्रालय ने 2018 में शुरू किए गए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) कार्यक्रम के जरिए एक मजबूत इकोसिस्टम विकसित किया है। नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए iDEX को 1.5 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी गई है, साथ ही रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए 449.62 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में सभी संबंधित पक्षों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक ले जाने के लक्ष्य की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

Tags: Defenc Export
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