‘पाकिस्तान है पहलगाम का दोषी’ महज इतना बोलने पर मां ने मारा थप्पड़, कश्मीर का विडियो वायरल

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत समर्थक कश्मीरियों में भय का माहौल है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने यह उजागर किया कि पाकिस्तान की आलोचना करने पर आम नागरिकों, खासकर बच्चों और महिलाओं, को अपने समुदाय और उग्रवादियों से प्रतिशोध का डर सता रहा है।

Kashmir

Kashmir security: कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद, एक वायरल वीडियो ने भारत समर्थक कश्मीरियों के बीच बढ़ते डर को उजागर किया है। इस वीडियो में एक युवा मुस्लिम लड़के को उसकी माँ द्वारा पाकिस्तान को दोषी ठहराने पर फटकार लगाते हुए देखा गया। यह घटना Kashmir में उन परिवारों के डर को दिखाती है, जो आतंकवादियों और पाकिस्तान समर्थक समूहों के दबाव में रहते हुए भारत के पक्ष में अपनी आवाज़ नहीं उठा पाते। वीडियो में माँ यह स्वीकार करती है कि पाकिस्तान के खिलाफ बोलने से उनके परिवार को शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है, और उनकी सुरक्षा अब उनके लिए सबसे बड़ी चिंता बन गई है। वह अपनी बेटों और परिवार की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं, क्योंकि आतंकवादियों की धमकियों के चलते उन्हें और उनके परिवार को लगातार खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

भारत समर्थकों पर छाया भय का साया

Kashmir में हाल ही में हुए पहलगाम हमले ने न केवल 26 निर्दोष लोगों की जान ली बल्कि एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया—क्या भारत का समर्थन करना आज के कश्मीर में खतरनाक बन चुका है? सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में एक युवा मुस्लिम लड़के को उसकी माँ डांटती और थप्पड़ मारती नजर आई क्योंकि उसने हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। यह घटना स्पष्ट रूप से इस बात को दर्शाती है कि आतंकवाद और उसकी विचारधारा का विरोध करना, खासकर सार्वजनिक रूप से, अब जीवन के लिए खतरा बन गया है।

वीडियो में माँ यह स्वीकार करती है कि पाकिस्तान के खिलाफ बोलने से उनके परिवार को शारीरिक हिंसा का डर रहता है, यहाँ तक कि अपने ही रिश्तेदारों से। यह सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि सैकड़ों उन कश्मीरियों की कहानी है जो आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाना चाहते हैं लेकिन डर के साये में जीते हैं।

आवाज़ उठाने वालों के लिए सुरक्षा की ज़रूरत

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा समूह है। यह समूह भारत समर्थक लोगों को खुले तौर पर धमकियाँ देता रहा है। ऐसे में, जो नागरिक भारत के साथ खड़े हैं, उन्हें सुरक्षित माहौल देना सरकार की जिम्मेदारी बनती है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि Kashmir में गवाह सुरक्षा कार्यक्रम की तत्काल आवश्यकता है। यह कार्यक्रम उन लोगों को गुमनाम पहचान, पुनर्वास सहायता और आर्थिक सुरक्षा दे सकता है जो आतंकवाद के खिलाफ बोलने का साहस रखते हैं। साथ ही, महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा योजनाएँ बनाई जानी चाहिए, क्योंकि वे अक्सर दोहरी हिंसा—पितृसत्ता और उग्रवाद—का सामना करते हैं।

सरकार और समाज दोनों की ज़िम्मेदारी

भारत सरकार को चाहिए कि वह जम्मू-Kashmir में अपना खुफिया नेटवर्क और मजबूत करे ताकि TRF जैसे संगठनों के इरादों को पहले ही विफल किया जा सके। साथ ही, समुदायों में संवाद बढ़ाने और कट्टरपंथ के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए आउटरीच कार्यक्रम शुरू किए जाएँ।

इसके अलावा, स्कूलों, कॉलेजों और धार्मिक संस्थानों को भी प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे आतंकवाद विरोधी शिक्षा और बहस को प्रोत्साहित करें। इससे धीरे-धीरे समाज में वह विश्वास पनपेगा जहाँ कोई भी नागरिक बिना डर के अपने विचार रख सके।

पहलगाम हमले ने कश्मीर की एक सच्चाई को उजागर किया है—भारत का समर्थन करना अब साहस का कार्य बन चुका है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी जो निडर होकर सच बोलते हैं, ताकि एक बेहतर, शांतिपूर्ण और आतंकवाद-मुक्त कश्मीर का सपना साकार हो सके।

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