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National handloom day: क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय हथकरघा दिवस? कब और क्यों शुरू हुआ यह दिन?

हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय कारीगरों के हुनर और संस्कृति की विरासत को संजोने, बढ़ावा देने और उन्हें सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
August 6, 2025
in राष्ट्रीय
National Handloom Day 2025
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National Handloom Day 2025:हथकरघा सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, इतिहास और कला का प्रतीक है। हर धागा, हर डिजाइन देश की विविधता, सुंदरता और मेहनतकश कारीगरों की कहानी कहता है। चाहे वह बंगाल की जामदानी हो, बनारस की रेशमी साड़ी या तेलंगाना की इकत, हर राज्य की अपनी खासियत है, जो भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है।

लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी का जरिया

हथकरघा उद्योग ने न सिर्फ भारत की पहचान बनाई, बल्कि लाखों परिवारों को रोजगार भी दिया है। गांवों में बसे इन बुनकरों का जीवन इन्हीं करघों पर टिका होता है। खासकर महिलाओं की इसमें अहम भागीदारी है, जो घर बैठे ही अपने हुनर से आत्मनिर्भर बन रही हैं।

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क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय हथकरघा दिवस?

हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य न सिर्फ हथकरघा उद्योग को सम्मान देना है, बल्कि लोगों को इसके प्रति जागरूक करना भी है।

भारतीय कपड़ा विरासत को संजोने के लिए

हथकरघा भारत की सदियों पुरानी विरासत है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें इन पारंपरिक कारीगरों की कला को आगे बढ़ाना है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसे देख सकें और समझ सकें।

स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए

इस दिन का एक और बड़ा उद्देश्य है। स्वदेशी चीजों को अपनाना और विदेशी वस्तुओं की जगह अपने देश के बने उत्पादों को प्राथमिकता देना। इससे हमारे देश के छोटे उद्योग और कारीगर मजबूत होते हैं।

ग्रामीण कारीगरों को ताकत देने के लिए

गांवों में रहने वाले हजारों बुनकरों की मेहनत से ही यह उद्योग जीवित है। यह दिवस उनके योगदान को सराहने का एक मौका है। साथ ही, यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम उनके बनाए उत्पाद खरीदें और उन्हें आर्थिक मजबूती दें।

कब और क्यों शुरू हुआ यह दिन?

भारत सरकार ने 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। दरअसल, 7 अगस्त 1905 को कोलकाता के टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में लोगों से विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर, देशी उत्पादों को अपनाने की अपील की गई थी। यही आंदोलन आजादी की लड़ाई में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत की आत्मा से जुड़ा एक जज्बा है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपने कारीगरों, उनकी कला और मेहनत का सम्मान करना चाहिए और स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

Tags: Indian HandloomNational Events
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SYED BUSHRA

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