भोपाल ऑनलाइन डेस्क। मध्य प्रदेश के सिवनी में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां चंद करप्ट सरकारी बाबू और दलालों ने मिलकर सर्पदंश के नाम पर 11 करोड़ 26 लाख रुपए घोटाला कर शासन को हिलाकर रख दिया है। आरोपियों ने 47 लोगों को कागजों में 279 बार मरा हुआ दिखाकर मुआवजे की राशि हड़पी ली। इन्हीं में से एक मलारी गांव के 70 वर्षीय किसान संत कुमार बघेल हैं। जिन्हें सांप काटने से 19 बार मृत घोषित किया गया और उनके नाम पर 76 लाख रुपए निकाले गए। जबकि संत कुमार जिंदा और स्वस्थ हैं। किसान को जब घोटाले की जानकारी हुई तो उनके पैरों में तले से जमीन खिसक गई।
11 करोड़ 26 लाख रुपए हड़पे
मध्य प्रदेश में कभी चम्मच घोटाला, कभी डामर घोटाला, कभी नगर निगम कचरा घोटाला और अब ‘सर्पदंश घोटाले’ का मामला सिवनी की केवलारी तहसील से सामने आया है। यहां भ्रष्टाचारियों ने जिंदा लोगों को कागज में मृत दिखाकर अपनी तिजोरी पैसों से भरी। इस पूरे भ्रष्टाचार में 46 लोगों के साथ-साथ चार तहसीलदार और दो बाबू भी शामिल हैं। ग्रामीणों ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन की योजना के तहत सांप काटने, डूबने या आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु पर परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है। इसी योजना का दुरुपयोग कर 279 फर्जी मामलों में 11 करोड़ 26 लाख रुपए हड़पे गए। यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच केवलारी तहसील में हुआ।
सांप काटने से 19 बार मृत घोषित
सरकारी तंत्र और दलालों ने किसान संत कुमार बघेल को भी सांप काटने से 19 बार मृत घोषित कर लाखों रूपए हड़प लिए। संत कुमार बघेल ने बताया, ’मुझे चार दिन पहले पता चला कि मेरे नाम पर सांप काटने से मृत्यु दिखाकर राशि निकाली गई है। मुझे कभी सांप ने नहीं काटा। किसान संत कुमार आगे कहते हैं, इस घटना से मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। कुछ लोग मान रहे हैं कि मैंने पैसे लिए होंगे, जबकि कोई राशि नहीं मिली। संत कुमार ने बताया कि वे 1994 से 1998 तक मलारी गांव के सरपंच रहे हैं, लेकिन तहसील कार्यालय से उनका कोई संपर्क नहीं रहा। उन्हें इस घोटाले की जानकारी हाल ही में मिली। वे कहते हैं, न कोई पत्र आया, न कोई अधिकारी मुझसे मिला ।
इन्हें दिखाया मृत और हड़पी रकम
जांच अधिकारी रोहित कोसल के मुताबिक इस घोटाले की शुरुआत साल 2019 में हुई और यह 2022 तक चलता रहा। जांच में सामने आया है कि मृत व्यक्तियों के नाम पर सर्पदंश से हुई मौतें दिखाकर मुआवजे और फसल क्षतिपूर्ति की सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया। कुल 11 करोड़ 26 लाख रुपये के इस घोटाले को इतनी चालाकी से अंजाम दिया गया कि किसी को भनक तक नहीं लगी। जांच रिपोर्ट के अनुसार, द्रोपदी बाई को 28 बार, रमेश नाम के व्यक्ति को 29 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत बताया गया। हर बार एक ही वजह सांप का काटना। इसी तरह रामकुमार को भी 19 बार मृत घोषित कर 38 फर्जी रिकॉर्ड के जरिए लगभग 81 लाख रुपये का गबन किया गया।
279 काल्पनिक नामों का इस्तेमाल
सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी सचिन दहायत ने इस पूरे घोटाले को अंजाम देने के लिए तहसील और जिला स्तर के कई अधिकारियों की मिलीभगत से मध्य प्रदेश सरकार की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली आईएफएमएस को गुमराह किया। बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के भी भुगतान स्वीकृत किए जाते रहे। जांच में सामने आया है कि इस गबन में कुल 279 काल्पनिक नामों का इस्तेमाल किया गया। जांच में साफ हुआ कि इन फर्जी नामों पर शासन की राशि सीधे लाभार्थी के खातों में न जाकर 46 प्राइवेट और जानकारी के अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई। महाघोटाले की खबर सामने आने पर शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
तहसीलदारों की भूमिका भी संदिग्ध
इस पूरे मामले में सहायक ग्रेड-3 सचिन दहायत के अलावा 46 और लोगों के नाम सामने आए हैं। इनमें तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह और पांच तहसीलदारों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। जांच में खुलासा हुआ है कि इन अधिकारियों की आईडी और अधिकारों का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेज बनाए गए और उन आधार पर कोषालय से भुगतान पास किए गए। गांवों के सरपंचों, सचिवों और ग्रामीणों से पूछताछ के दौरान यह भी सामने आया कि पिछले 15 वर्षों में सांप के काटने से किसी की भी मौत नहीं हुई। गांव वालों ने साफतौर पर कहा कि जिन नामों को मृत दिखाया गया। उन्हें वह जानते तक नहीं हैं।
रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई
रोहित सिंह कौशल, संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा विभाग, जबलपुर संभाग एवं जांच अधिकारी ने बताया कि जांच में साफ है कि एक ही व्यक्ति को बार-बार मृत दिखाकर शासन की राशि का सुनियोजित तरीके से गबन किया गया है, जिसमे 11 करोड़ 26 लाख का गबन फिलहाल निकल कर आया है। रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई है। केवलारी थाना प्रभारी एसएस रामटेक्कर का कहना है कि 279 फर्जी नामों से 46 खातों में 11 करोड़ 26 लाख रुपए का गबन हुआ है। 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य आरोपी सचिन दहायत को पहले ही हिरासत में लिया गया था। अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी का प्रयास जारी है।