Ashwini Vaishnaw : केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 19 मार्च, बुधवार को लोकसभा में बताया कि भारतीय रेलवे ट्रैक के उचित रखरखाव के लिए पूरे देश में कुछ घंटों के लिए ट्रैक को खाली रखा जा रहा है। उन्होंने कहा, “रेल पटरियां और पहिए स्टील से बने होते हैं और ट्रेनें 70 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं, जिससे पटरियां समय के साथ खराब हो जाती हैं और माइक्रो फ्रैक्चर उत्पन्न होते हैं।”
अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा, “अगर समय रहते माइक्रो फ्रैक्चर्स की मरम्मत नहीं की जाती है, तो इन फ्रैक्चर्स की संख्या बढ़ सकती है, जो अंततः ट्रेन दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। इसलिए, 24 घंटों में से कुछ घंटे ट्रैक की मरम्मत के लिए निर्धारित किए गए हैं।”
उन्होंने बताया कि ट्रेनों की निरंतर आवाजाही के कारण ट्रैक में माइक्रो फ्रैक्चर हो जाते हैं। IIT बॉम्बे ने इस पर शोध कर एक समय सारणी तैयार की, जिसके अनुसार हर सेक्शन में 3 घंटे का ब्लॉक लगाकर ट्रैक की मरम्मत की जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ ट्रेनों का स्टॉपेज भी कम किया गया और कुछ ट्रेनों को रोका गया।
रेल मंत्री ने क्या कहा ?
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के सवाल पर कि क्या सरकार कोविड महामारी के दौरान बंद किए गए ट्रेन स्टॉपेज को फिर से खोल रही है, रेल मंत्री ने कहा, “ट्रैक मेंटेनेंस ही वजह है कि कुछ ट्रेनों का स्टॉपेज खत्म किया गया और कुछ ट्रेनों को पुनः व्यवस्थित किया गया। इसका महामारी से कोई संबंध नहीं है।”
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अश्विनी वैष्णव ने कहा कि IIT बॉम्बे की स्टडी के बाद, 2018 में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था, जिसके अनुसार ट्रैक की मेंटेनेंस के लिए समय सारणी में 3 घंटे का ब्लॉक रखा गया था। बिना किसी समय सीमा का उल्लेख किए उन्होंने बताया कि इसका परिणाम अत्यंत सकारात्मक रहा है, और इस प्रक्रिया से 2500 फ्रैक्चर्स को कम कर दिया गया है, जो अब 250 से भी कम हो गए हैं।
रेल फ्रैक्चर क्या होते हैं?
रेल फ्रैक्चर रेलवे ट्रैक में होने वाली खराबी को कहते हैं, जब ट्रैक में कोई दरार या गैप उत्पन्न हो जाता है। यह स्थिति ट्रेन दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे अधिक वजन, गलत रखरखाव, या खराब मौसम। रेल फ्रैक्चर्स को ठीक करने के लिए रेलवे कर्मचारी वेल्डिंग से मरम्मत करते हैं और अगर फ्रैक्चर बड़ा हो, तो जॉइंट को बदल दिया जाता है।