Chinese Ship In Bangladesh : चीनी नौसेना के ट्रेनिंग जहाज Qi Jiguang (Hull 83) और डॉक लैंडिंग जहाज Jinggangshan (Hull 999) शनिवार को बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी चटगांव बंदरगाह पर पहुंचे हैं, जहां वे तीन दिनों तक रुकने वाले हैं। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद यह पहला विदेशी जहाजी बेड़ा है जो वहां ठहर रहा है।
बांग्लादेश में भारत समर्थक माने जाने वाली शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से वहां की अंतरिम सरकार की चीन के प्रति नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। चीन पहले भी श्रीलंका, मालदीव जैसे भारत के पड़ोसी देशों में अपने सैन्य जहाजों को डॉक करता रहा है। भारत की चिंता यह रही है कि चीन इसके जरिए जासूसी कर सकता है।
पड़ोसी देशों में चीनी सैन्य जहाजों की तैनाती से भारत हमेशा असहज रहा है, ऐसे में बांग्लादेश में चीनी नौसैनिक जहाज का आना भारत के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है।
ग्लोबल टाइम्स ने क्यों उठाए सवाल ?
चीनी जहाज के बांग्लादेश में रुकने को लेकर भारतीय मीडिया में जताई जा रही चिंताओं पर चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स असहज महसूस कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि “भारतीय मीडिया ने चीनी नौसैनिक बेड़े के कवरेज में जो सतर्कता दिखाई है, उससे भारत की ‘जीरो-सम मेंटालिटी’ का पता चलता है, यानी यदि कोई देश भारत के साथ है, तो उसे चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत नहीं करने चाहिए।”
अखबार ने यह भी कहा कि “यह चार साल में पहली बार है जब चीनी नौसेना का कोई बेड़ा बांग्लादेश आया है। यह बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के गठन के बाद से विदेशी नौसेना का पहला दौरा है।” बांग्लादेश में चीनी दूतावास ने बताया कि यह यात्रा चीन-बांग्लादेश की मित्रता और सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
द हिंदू ने इस बात पर जोर दिया है कि चीनी बेड़े के बांग्लादेश आने का संबंध चटगांव बंदरगाह पर चल रहे निर्माण कार्य से हो सकता है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चीनी जहाजी बेड़े में पनडुब्बियों और युद्धपोतों को रखने की क्षमता है, जिससे यह संभव है कि यह बंदरगाह के निर्माण कार्य के सिलसिले में वहां पहुंचा हो।
चीन के सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में शोध विभाग के निदेशक कियान फेंग ने भारतीय मीडिया में चल रही इन खबरों पर टिप्पणी की है, जो इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।