Constitution Assassination Day : आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आज बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ‘लोकतंत्र अमर रहे यात्रा’ को हरी झंडी दिखाकर देशभर में लोकतंत्र के संदेश को आगे बढ़ाएंगे।
क्या है इस आयोजन का उद्देश्य?
इस यात्रा का आयोजन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और दिल्ली सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य नागरिकों को संवैधानिक मूल्यों, लोकतांत्रिक अधिकारों तथा 1975 में लगे आपातकाल से मिली ऐतिहासिक सीख के प्रति जागरूक करना है। यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचकर लोकतंत्र के महत्व को रेखांकित करेगी और नई पीढ़ी को उस दौर की सच्चाई से रूबरू कराएगी।
लोकतंत्र पर प्रदर्शनी होगी आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह होंगे। उनके साथ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम स्थल पर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास और आपातकाल की घटनाओं पर आधारित विशेष प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जो दर्शकों के लिए जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत बनेगी।
‘आपातकाल’ – कांग्रेस की तानाशाही प्रवृत्ति का प्रतीक: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को हिला दिया था। यह कांग्रेस की सत्ता की भूख और तानाशाही प्रवृत्ति का प्रतिबिंब था।”
उन्होंने लिखा कि प्रेस की आज़ादी को कुचला गया, न्यायपालिका को निष्क्रिय कर दिया गया और हजारों सामाजिक कार्यकर्ताओं व विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया। “यह कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं थी, बल्कि एक व्यक्ति और पार्टी की लोकतंत्र-विरोधी मानसिकता का परिणाम था।”
‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया। यह दिवस बताता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे… pic.twitter.com/UdGRzNCcgw
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2025
शाह ने आगे कहा, “यह दिन याद दिलाता है कि जब सत्ता निरंकुश बनती है, तो जनता में उसे उखाड़ फेंकने की ताकत होती है। मोदी सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मान्यता देकर इस चेतना को जीवित रखने का संकल्प लिया है।”
यह भी पढ़ें : इतिहास रचने को तैयार भारत का लाल शुभांशु शुक्ला, आज भरेगा अंतरिक्ष की पहली उड़ान…
क्या है 25 जून 1975 का इतिहास
आपातकाल की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आधी रात को आकाशवाणी के जरिए की थी। इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार स्थगित कर दिए गए, प्रेस पर कड़ी सेंसरशिप लागू की गई और लोकतांत्रिक संस्थाओं को पंगु बना दिया गया। यही वजह है कि इसे आज भी भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक माना जाता है।
पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में घोषित किया था, जिससे देशवासी उस दौर की भूलों से सबक लेकर लोकतंत्र की मजबूती के लिए सजग रह सकें।