Bapu granted interim bail : राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद आसाराम बापू को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। आसाराम बापू 17 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद छह दिन पहले ही राजस्थान की जोधपुर जेल में वापस लौटे थे।उनको यह जमानत मेडिकल ग्राउंड्स पर कड़ी शर्तों के साथ दी गई है।
हाल ही में आसाराम बापू की सेहत खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए महाराष्ट्र भेजा गया था। उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया। इसके पहले, उनके बेटे नारायण साईं को भी उनकी बीमारी के चलते गुजरात हाईकोर्ट से मुलाकात की अनुमति मिली थी।
आसाराम बापू को मिली अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू को 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत दी है। हालांकि, इस जमानत के दौरान आसाराम बापू को कुछ कड़ी शर्तों का पालन करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि वह अपने अनुयायियों और फॉलोवर्स से मुलाकात नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह जमानत केवल स्वास्थ्य कारणों पर आधारित है और इस दौरान उनके खिलाफ कोई भी असामान्य गतिविधि होने पर जमानत रद्द की जा सकती है।
आसाराम बापू की सजा और कानूनी स्थिति
Asaramको 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया था। एक किशोरी ने उन पर जोधपुर के पास मणई गांव स्थित उनके आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली थी और आश्रम में छात्रा के रूप में पढ़ाई कर रही थी। इसके अलावा, आसाराम बापू को गांधीनगर की अदालत से भी बलात्कार के मामले में सजा मिली थी। अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
आसाराम बापू पर यह आरोप 2001 से 2006 के बीच का है और यह मामला अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में दर्ज हुआ था। इसके बाद, आसाराम बापू पिछले 11 साल से जेल में बंद हैं। उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ भी इसी तरह का बलात्कार का मामला दर्ज हुआ था और साईं को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। नारायण साईं इस समय सूरत की जेल में बंद हैं।
आखिरकार अब क्या होगा
आसाराम बापू की जमानत मिलने से उनके समर्थकों में एक नई उम्मीद जगी है, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस दौरान किसी भी प्रकार का अनुशासनहीनता या कानून के खिलाफ कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए। कोर्ट की कड़ी निगरानी के तहत ही आसाराम बापू का यह अंतरिम जमानत का आदेश लागू होगा। यह कदम उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, लेकिन भविष्य में उनके खिलाफ चल रहे अन्य मामलों का असर इस जमानत पर पड़ सकता है।
अब आगे यह देखना होगा कि 31 मार्च के बाद उनकी जमानत किस तरह से आगे बढ़ सकती है यदि वह इस समय के दौरान किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता नहीं दिखाते हैं।
यह जमानत उनके लिए एक जीत की तरह लग सकती है, इसमें काफी कड़ी शर्तें हैं। उन्हें कड़े नियमों का पालन करना होगा, और उनकी जेल से बाहर की अवधि सीमित है। लेकिन यह उनके लंबे कानूनी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।