नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। हिंदुस्तान की पुलिस के इतिहास में ऐसे मौके और ऐसे मंज़र बहुत कम आए हैं जब पूरी की पूरी पुलिस टीम को बाराती बनना पड़ा। ना सिर्फ बाराती बनना पड़ा, बल्कि बारातियों की तरह नाचना भी पड़ा। ये सब सिर्फ इसलिए ताकि देश व प्रदेश से अपराध व अपराधियों का सफाया हो सके। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश के राजगढ़ की पुलिस ने। यहां के कड़िया गांव में चोरों की नर्सरी चलती थी। गैंग में करीब 50 से अधिक चोर शामिल थे। ये बारातों को टारगेट कर वारदातों को अंजाम देते है। ऐसे में पुलिस भी हथकड़ी के साथ बराती बनी और चोरों की म्याद में घुसकर चार कूख्तात विलेन को दबोच लिया।
मध्यप्रदेश का कड़िया गांव चोरों और जेबतराशों की नर्सरी के रूप में जाना जाता है। यहां छोटी उम्र से ही बच्चों को इन अपराधों की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी जाती है। इसके लिए उनके मां-बाप सरगना को 2-3 लाख रुपए तक की फीस भी देते हैं। कड़िया गांव में पुलिस भी आने से डरती है। गांव के हर घर से कोई न कोई चोर है और चोरी की वारदातों में शामिल होता है। ऐसे में पुलिस ने कड़िया गांव में चोरों को दबोचने के लिए खास प्लान बनाया। 153 पुलिसवाले बराती बने। बैंडबाजा और हथकड़ी के साथ वह गांव में दाखिल हुए। चोरों के बॉस को पुलिसवालों की भनक नहीं लगी। पुलिस ने सरगना समेत गिरोह के चार सदस्यों को दबोच लिया।
पुलिस ने बताया कड़िया गांव में चोर मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में चोरी की वारदातों को अंजाम देते थे। मंगलवार को कड़िया गांव में एक शादी थी। ऐसे में पुलिस को जानकारी मिली कि चोरों के गैंग का लीडर अपने साथियों के साथ शादी समारोह में आया हुआ है। ऐसे में पुलिस ने शातिरों को दबोचने के लिए प्लान बनाया। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने बताया कड़िया गांव और उसके आसपास 17 अलग-अलग पुलिस थानों से कुल 153 जवानों को तैनात किया गया था। अधिकारियों ने तैनात बल की सहायता के लिए टेंट, मोबाइल शौचालय और पानी के टैंकरों के साथ एक पूरी तरह सुसज्जित पुलिस शिविर भी स्थापित किया था। एसपी ने बताया, गिरफ्तारी के दौरान भीड़ में गायब हो जाने की अपराधियों की कोशिश को ध्यान में रखते हुए कुछ कर्मियों को सादे कपड़ों में भी रखा गया था।
एसपी ने बताया कि, लोगों में जागरूकता बढ़ाने और पहचान में सहायता के लिए पुलिस ने मंगलवार को पूरे गांव में इन वांटेड क्रिमिनल्स की तस्वीरों वाले बैनर लगाए। इनमें से कई के खिलाफ कई राज्यों में मामले दर्ज हैं। मंगलवार की रात पुलिस ने शादी की रस्में पूरी होने के तुरंत बाद चारों अपराधियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों में कबीर सांसी (24) भी शामिल है, जिसके खिलाफ मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके अलावा ऋषि सांसी (19) पर मामले दर्ज हैं। एक अन्य आरोपी मोहनीश सांसी पर 32 मामले दर्ज हैं। जबकि रोहन सांसी पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 32 मामले दर्ज हैं। फिलहाल चार अपराधी पकड़े गए हैं, आकि बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।
बोड़ा थाना प्रभारी धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि अकेले कड़िया गांव में शादी समारोहों के दौरान चोरी से जचोरी से जुड़े 50 से अधिक फरार वारंट लंबित हैं। इसलिए हम एक समर्पित अभियान चला रहे हैं। पिछले साल अगस्त में मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जो जयपुर में एक हाई-प्रोफाइल शादी के दौरान आभूषणों का बैग चुराते पकड़े गए थे। अभियान के दौरान 1.45 करोड़ रुपये की चोरी की गई कीमती वस्तुएं बरामद की गईं। वहीं इससे पहले गिरोह के सदस्यों को पकड़ने के लिए जब पुलिस कड़िया गांव गई थी, तो उन्हें हिंसक हमलों का सामना करना पड़ा था। ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला किया था और गांव में मौजूद चोरों को भगा दिया था। ऐसे में हमने उन्हें उन्हीं की जाल में फंसाया और चार अपराधी को अरेस्ट कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कड़िया गांव में बच्चों की ट्रेनिंग गैंग के बड़े सरगना देते हैं। इसके लिए उनसे बाकायदा फीस ली जाती है। यह फीस ढाई से तीन लाख रुपए एक बच्चे की होती है। बच्चे को 12 से 13 साल की उम्र में ही इस ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी जाती है। हैरत की बात यह है कि मां-बाप खुद उसे ट्रेनिंग के लिए भेजते हैं और यह तक चेक करते हैं कि कौन सरगना कितनी अच्छी ट्रेनिंग दे सकता है। इस ट्रेनिंग में बच्चे को जेब तराशना, भीड़ के बीच से रकम का बैग पार करना, तेजी से फरार होना। पुलिस पकड़ ले तो कैसे बचना है और पिटाई कैसे सहन करनी है। यह सब सिखाया जाता है। इसके बाद उसे एक साल के लिए गैंग में काम पर रखा जाता है। जिसकी एवज में सरगना उसके मां बाप को साल के तीन से पांच लाख रुपए का भुगतान करता है। इसके लिए ये अपने बच्चों को 10 से 12 साल की उम्र में ही ट्रेनिंग देना शुरू करते हैं।
यह गैंग बड़े शातिर तरीके से वारदात को अंजाम देती है। पहले रेकी करती है और उसके बाद बैंकों के बाहर बड़ी रकम निकालने वाले लोगों के बैग पार कर लेती है। कई बार सामने वाले पर गंदगी डालकर उसे चकमा दिया जाता है। कई बार पता पूछने के बहाने रोककर रकम पार कर ले जाते हैं। जेबतराशी, शादियों से गहने और रकम पार करने जैसी वारदातें भी यही गैंग करती है। ज्यादातर वारदातें बच्चों और महिलाओं से करवाते हैं। जिन्हें जमानत मिल जाती है। बहुत कम ऐसा होता है जब इनके बड़े सरगना पकड़े जाते हैं। मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों क पुलिस भी कईबार गांव में रेड मार चुकी है, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते चोर हर वक्त भागने में कामयाब रहते हैं। राजस्थान पुलिस ने चार वर्ष पहले इस गैंग के कुछ सदस्यों को अरेस्ट किया था। तब चोरों ने पुलिस को कई अहम राज बताए थे।