Supreme Court stay on Waqf law: वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर आज देश की सर्वोच्च अदालत की नजरें एक ऐतिहासिक फैसले पर टिकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस विवादास्पद कानून पर आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई हो रही है, जहां बुधवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कानून के कुछ हिस्सों पर रोक लगाने के संकेत दिए थे। “वक्फ बाय यूजर” की मान्यता खत्म करने, कलेक्टर को संपत्ति जांच का अधिकार देने और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने जैसे प्रावधानों पर कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में आज का दिन बेहद अहम है—क्या कोर्ट इस कानून पर स्टे लगाएगा? क्या हिंदू पक्ष की आपत्तियों को मिलेगा कानूनी समर्थन? जानिए पूरी सुनवाई का हाल।
तीखे सवालों के घेरे में वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था
Supreme Court में बुधवार को करीब 70 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान सबसे अधिक बहस “वक्फ बाय यूजर” की अवधारणा को लेकर हुई। यह वह व्यवस्था है जिसमें बिना किसी लिखित घोषणा के, किसी संपत्ति के धार्मिक प्रयोग के आधार पर उसे वक्फ घोषित किया जा सकता है। नए कानून ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस बदलाव पर चिंता जताते हुए कहा कि “कुछ वास्तविक वक्फ बाय यूजर भी होते हैं जिन्हें इस कानून से नुकसान होगा।” उन्होंने कहा कि सभी के पास पंजीकरण या डीड के दस्तावेज नहीं होते और यदि ऐसे वक्फ को डिनोटिफाई किया गया, तो इसके “गंभीर परिणाम हो सकते हैं।” कोर्ट ने साफ कहा कि विधायिका किसी निर्णय, आदेश या डिक्री को शून्य नहीं घोषित कर सकती।
कलेक्टरों को मिली शक्ति पर कोर्ट की भौहें तनी
नए संशोधन कानून में एक विवादास्पद प्रावधान यह है कि अगर कोई कलेक्टर जांच कर रहा हो कि कोई संपत्ति सरकारी है या नहीं, तब तक वह संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या वक्फ घोषित संपत्तियों को इस तरह अचानक “गैर-वक्फ” करार दिया जा सकता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक इस कानून पर सुनवाई जारी है, तब तक अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने इसे एक संभावित अपवाद बताते हुए स्टे की संभावना जताई, हालांकि कोर्ट ने अब तक कोई औपचारिक आदेश नहीं दिया है।
वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्य
सबसे तीखी बहस उस समय हुई जब Supreme Court ने वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने पूछा कि जब हिंदू धार्मिक बोर्डों में गैर-हिंदू सदस्य नहीं होते, तो फिर वक्फ परिषद में यह व्यवस्था क्यों लाई जा रही है? कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट पूछा, “क्या आप कहना चाहते हैं कि अब मुसलमान हिंदू मंदिर बोर्डों का हिस्सा बन सकते हैं?” सरकार के विधि अधिकारी तुषार मेहता ने इस पर सफाई दी कि पदेन सदस्यों के अलावा केवल दो गैर-मुस्लिम ही होंगे। लेकिन पीठ ने कहा कि 22 में से सिर्फ 8 मुस्लिम सदस्य होना वक्फ परिषद के धार्मिक स्वरूप के विरुद्ध है। सुनवाई के दौरान उस समय तनाव बढ़ गया जब मेहता ने जजों की व्यक्तिगत धार्मिक पहचान पर टिप्पणी की, जिसे कोर्ट ने “पूरी तरह अनुचित” कहा।
आज हो सकता है अहम आदेश
बुधवार को जब Supreme Courtअंतरिम आदेश सुनाने वाला था, तब सरकार की ओर से और वक्त मांगा गया। इसके बाद बेंच ने सुनवाई 17 अप्रैल यानी आज दोपहर तक के लिए टाल दी। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि क्या Supreme Court कानून के विवादास्पद हिस्सों पर रोक लगाएगा या सरकार को और समय दिया जाएगा। तीन अहम मुद्दे—वक्फ बाय यूजर, कलेक्टर की शक्ति और वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति—देशभर में चर्चा का विषय बन चुके हैं। आज का फैसला इन पर निर्णायक हो सकता है।