चिराग पासवान के 243 सीटों वाले ऐलान से NDA में खलबली, JDU-BJP में बेचैनी!

चिराग पासवान ने 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर सियासी हलचल मचा दी है। उनके इस कदम से NDA में तनाव गहराया है और राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।

Bihar

Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। 2025 विधानसभा चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर सियासी हलचल तेज कर दी है। यह महज एक चुनावी बयान नहीं, बल्कि NDA के भीतर समीकरणों को झकझोर देने वाली चुनौती है। जिस गठबंधन ने 2024 लोकसभा में बड़ी जीत दर्ज की, उसी के भीतर अब असहजता दिखने लगी है। चिराग की यह रणनीति NDA पर दबाव बनाने की चाल है या फिर एक बार फिर ‘एकला चलो’ की घोषणा? सवाल यही है कि क्या चिराग सत्ता में साझेदारी चाहते हैं या 2020 की तरह गठबंधन को झटका देने की तैयारी कर रहे हैं?

चिराग का बड़ा ऐलान: “243 सीटों पर लड़ेंगे”

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में एक जनसभा में कहा, “Bihar की राजनीति में मुझे कमजोर करने की कोशिश की गई, लेकिन मैं डटा रहा। 2025 में हम सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे।” उन्होंने पिता रामविलास पासवान के सपनों का हवाला देते हुए साफ किया कि वे व्यक्तिगत रूप से चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि यह निर्णय जनता के सुझाव पर होगा। इस बयान ने बिहार के सियासी माहौल को गरमा दिया है।

क्या NDA में बढ़ी दरार?

चिराग के इस ऐलान ने NDA के भीतर खलबली मचा दी है। 2020 में LJP ने अकेले चुनाव लड़कर JDU को बड़ा नुकसान पहुंचाया था, जबकि पार्टी सिर्फ 1 सीट जीत सकी थी। इस बार सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही NDA में खींचतान चल रही है। BJP और JDU के बीच सीटों का फार्मूला लगभग तय है—BJP (101-102), JDU (102-103), जबकि बाकी LJP, HAM और RLSP को मिलनी हैं। चिराग की 30-50 सीटों की मांग और अब 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात से JDU और BJP दोनों असहज हैं।

रणनीति या किंगमेकर बनने की कोशिश?

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, चिराग का यह दांव दबाव बनाने की रणनीति है। 2024 लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें जीतने के बाद उनकी हैसियत बढ़ी है। चिराग अब खुद को ‘बिहार का एक्स-फैक्टर’ समझते हैं। यह भी माना जा रहा है कि वे 2005 की तरह किंगमेकर की भूमिका में आना चाहते हैं, जब उनके पिता ने 29 सीटें जीतकर सत्ता की चाबी अपने पास रखी थी। उनका “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” नारा युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

शाहाबाद से चुनाव लड़ने की चर्चा, वोट बैंक की ताकत

हाल ही में खबर आई है कि चिराग पासवान शाहाबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। उनके बहनोई और सांसद अरुण भारती ने पुष्टि की कि 8 जून को वहां “नव संकल्प महासभा” आयोजित की जाएगी। यह उनकी चुनावी जमीन तैयार करने का इशारा है। पासवान समुदाय Bihar की दूसरी सबसे बड़ी जाति है (5.31%) और चिराग इस वोट बैंक को पूरी तरह साधने में जुटे हैं।

विपक्ष की सतर्कता और NDA की बेचैनी

तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है, लेकिन चिराग की इस घोषणा ने विपक्ष को भी सतर्क कर दिया है। NDA की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार BJP और JDU के बीच बंद कमरे में बैठकें शुरू हो चुकी हैं। सवाल है—क्या चिराग को NDA में बड़ी भूमिका दी जाएगी, या यह टकराव 2020 की तरह परिणाम लाएगा?

NDA का भविष्य अधर में

243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा एक राजनीतिक स्टंट भर नहीं, बल्कि NDA को झुकाने की चिराग की बड़ी चाल है। यदि उनका दबाव काम करता है, तो वे NDA में बड़ी हिस्सेदारी पा सकते हैं। अगर नहीं, तो बिहार में फिर से वोट कटवा और नुकसानदायक भूमिका में आ सकते हैं। फिलहाल, Bihar की सियासत चिराग के हर अगले कदम पर नजर गड़ाए हुए है।

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