अपने पत्र में सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि गन्ना किसानों का हमारे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में गन्ना उत्पादकों की बढ़ती चिंताओं का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में चीनी मिल मालिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें की गई हैं, लेकिन किसानों की समस्याओं को पर्याप्त तवज्जो नहीं दी गई है। गन्ना एक नकदी फसल होने के बावजूद, किसानों को इस फसल के भुगतान के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
चीनी मिलों द्वारा गन्ने के भुगतान में देरी और किसानों को उचित मूल्य न मिलने की समस्या गन्ना किसानों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। गन्ना किसानों को बकाया राशि का समय पर भुगतान न होने और मूल्य निर्धारण में असमानता के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। नीति आयोग ने फेयर एंड रिम्युनरेटिव प्राइस (एफआरपी) की सिफारिश की है, लेकिन राज्य सरकारों द्वारा लागू की जाने वाली स्टेट एडवाइज प्राइस (एसएपी) इस समस्या का प्रभावी समाधान नहीं कर पाई है, जिससे किसानों की आय में गिरावट आई है।
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कृषि मंत्री से आग्रह किया है कि गन्ना किसानों के हित में आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि किसानों को समय पर भुगतान की गारंटी दी जाए ताकि उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, मूल्य निर्धारण प्रक्रिया में सुधार किया जाए और एफआरपी और एसएपी के बीच के अंतर को कम करने के लिए एक समान और निष्पक्ष मूल्य निर्धारण प्रणाली लागू की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों की बकाया राशि का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और इसके लिए एक समय सीमा तय की जाए।
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इसके साथ ही, किसानों और चीनी मिल मालिकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए एक निगरानी समिति गठित की जाए, जो समय-समय पर मूल्य निर्धारण और भुगतान प्रक्रिया की समीक्षा कर सके और यह सुनिश्चित कर सके कि किसानों के हितों की रक्षा हो।