भारतीय वायुसेना देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती है। मिराज, मिग विमान जैसे लड़ाकू जेट के बेड़े में अब तो राफेल भी जुड़ चुका है। वहीं चिनूक हेलीकॉप्टर हमारी वायुसेना की शान है। अब इस शान को यानी चिनूक हेलीकॉप्टर की कमान पहली बार दो महिला शक्ति को सौंपी जाएगी।
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है कि वायु सेना ने दो महिला लड़ाकू विमान पायलटों को अपनी सीमावर्ती चिनूक हेलीकॉप्टर इकाइयों को सौंपा है। अब दो महिला पायलट चिनूक हेलीकॉप्टर को उड़ाती नजर आएंगी। ये दोनों चिनूक इकाइयां वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के पास भारतीय सैनिकों को मदद पहुंचाना रही है।
क्या है युद्ध में चिनूक की भूमिका
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वहीं वायुसेना के एक अधिकारी की मानें तो स्क्वाड्रन लीडर पारुल भारद्वाज और स्वाति राठौर रूस द्वारा निर्मित एमआई 17वी 5 हेलीकॉप्टर उड़ा रही थीं। अब उनका तबादला चंडीगढ़ और असम के मोहनबाड़ी स्थित सीएच 47 एफ चिनूक इकाइयों में किया गया है।
वहीं वायु सेना के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि दूसरे हेलीकॉप्टर को उड़ाना चिनूक को उड़ाने से बिल्कुल अलग है। यह इकलौता टैंडम रोटर वाला विमान है जिसे भारतीय वायुसेना संचालित कर रही है। यह युद्ध में कई तरह की भूमिकाएं निभा सकता है। इसके नियंत्रण अलग होते हैं। इसे दूसरे हेलीकॉप्टर की तरह कंट्रोल भी नहीं किया जा सकता। इसका उपयोग जंग के मैदान में रसद सामग्री को ले जाना और सैन्य परिवहन व तोपखाने के लिए किया जाता है।
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2019 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ चिनूक
स्क्वाड्रन लीडर पारुल भारद्वाज ने 2019 में एमआई 17वीं 5 की पहली उड़ान की कप्तानी की थी। इसके ठीक दो साल बाद स्वाति राठौर कर्तव्य पथ पर हुई 2021 गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाली पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलट थीं। भारद्वाज और राठौर को ऐसे समय में चिनूक इकाइयों को सौंपा गया है। जब सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले गए हैं।
आपको बता दें कि चिनूक हेलीकॉप्टर को पहली बार 2019 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। यह हेलीकॉप्टर बहुउद्देशीय जिसे अमेरिका से लिया गया है। फिलहाल वायु सेना अभी 15 चिनूक का संचालन करती है। यह विमान सीमावर्ती इलाके में लाइट हॉवित्जर तक ट्रांसपोर्ट कर सकता है।
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