‘वॉर मॉक ड्रिल’ से पहले अलर्ट मोड में देश, गृह मंत्रालय की बड़ी बैठक, सायरन, ब्लैकआउट में होगी सभी की ट्रेनिंग

गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि 7 मई को 1971 के बाद पहली बार 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। इस अभ्यास का मकसद आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता को मजबूत करना है। ड्रिल की तैयारियों को लेकर दिल्ली स्थित गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक जारी है।

Mock Drill

Mock Drill : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर सतर्कता और तत्परता बढ़ाने की दिशा में कदम तेज कर दिए हैं। गृह मंत्रालय के निर्देश पर 7 मई को देश के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। यह अभ्यास न केवल 1971 के बाद की पहली सबसे बड़ी पहल है, बल्कि देशभर में एक समन्वित सुरक्षा अभ्यास का उदाहरण भी है।

दिल्ली में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक

ड्रिल की तैयारियों की निगरानी के लिए मंगलवार को दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में एक अहम बैठक बुलाई गई। गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में सभी 244 सिविल डिफेंस जिलों के प्रतिनिधि, विभिन्न राज्यों के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए हैं। इस व्यापक भागीदारी से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में देख रही है।

प्रधानमंत्री की सक्रिय भागीदारी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते सात दिनों में तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ अलग-अलग बैठकें कर स्थिति की गंभीरता का जायजा लिया है। उन्होंने न केवल सैन्य तैयारियों पर चर्चा की, बल्कि हथियारों और गोला-बारूद की उपलब्धता जैसी अहम बातों पर भी फीडबैक लिया। सूत्रों के अनुसार, पीएम ने स्पष्ट किया है कि पहलगाम हमले की साजिश रचने वालों को ऐसी सजा दी जाएगी, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।

मॉक ड्रिल में क्या होगा खास?

इस मॉक ड्रिल में आपातकालीन स्थिति जैसे ब्लैकआउट, एयर स्ट्राइक की चेतावनी, और नागरिकों की सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया का अभ्यास कराया जाएगा। सायरन बजते ही लोगों को नजदीकी सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा, ताकि संकट की घड़ी में आम जनता को संभालने और बचाने की रणनीति को व्यवहार में लाया जा सके। मॉक ड्रिल के जरिए लोगों को आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

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इस प्रकार की मॉक ड्रिल प्रशासनिक मशीनरी की तत्परता को परखने और आम नागरिकों में जागरूकता पैदा करने के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जाती है। विशेष रूप से यदि किसी एयर स्ट्राइक या अन्य राष्ट्रीय आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो, तो यह अभ्यास जान-माल की रक्षा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। यह समन्वित अभ्यास भारत की सुरक्षा संरचना को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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