नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। पहेली बने मई माह के मौसम ने शनिवार आधी रात के बाद से यूपी, दिल्ली के बाद अब मुम्बई में कहर ढाया हुआ है। दिल्ली में तेज आंधी के साथ रिकॉर्ड बारिश ने 125 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। वज्रपात और पेड़ गिरने से सैकड़ों लोगों की जान चली गई। कानपुर में बारिश ने शहर और ग्रामीण अंचलों में ब्लैकआउट का नजारा दिखा दिया। कुछ ऐसे ही हालात आर्थिक नगरी मुम्बई के बने। यहां 75 वर्षों में अब तक सबसे जल्दी मानसून पहुंचा है। कई इलाके पानी से जलमग्न हो गए। आईएमडी ने अलर्ट जारी करते हुए बताया कि फिलहाल बारिश और तूफान ज्यों के त्यों बरकरार रहेगा।
अभी बरसेंगे बादल
लोगों को मई के महिने में ऐसी उम्मीद नहीं थी कि मेघ नवतपा में गरजेंगे और जमकर बरसेंगे। लेकिन ऐसा हुआ। दिल्ली से लेकर मुम्बई पानी से जलमग्न हो गई। तूफान ने घरों को जमींदोज कर दिया। सड़कें बर्बाद हो गई। बिजली के पोल उखड़ गए और गांव-गांव, शहर-शहर ब्लैकआउट जैसे हालात बन गए। जानकार बताते हैं कि तेज बारिश के साथ गरज और तुफान का यह दौर कालबैसाखी हो सकता है। यह घटना देश के पश्चिमी हिस्सों में मानसूनी की पहले की घटना है, जो पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और यूपी में देखने को मिल रही है।
दिल्ली में टूटा बारिश का 125 पूराना रिकार्ड
दरअसल, रविवार की सुबह जब दिल्लीवासी उठे तो गरज-चमक के साथ तेज बारिश हो रही थी। आंधी-बारिश का यह दौर रात करीब एक बजे शुरू हुआ और सुबह साढ़े आठ बजे तक जारी रहा। आंधी की रफ्तार 82 किमी प्रति घंटा दर्ज की गई। कुछ जगहों पर ओलावृष्टि भी देखने को मिली। इस दौरान हवा की गति भी बदलती रही। अब तक 1901 से 2025 तक मई में सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड 2008 के नाम है, जब 165.0 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन अब यह रिकॉर्ड 2025 के नाम है। इस महीने अब तक 186.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है। फिलहाल बारिश का ये सिलसिला सोमवार की सुबह भी जारी रहा।
मुम्बई में भी समय से पहले पहुंचा मानसून
आईएमडी ने बताया कि केरल में मानसून ने 8 दिन पहले एंट्री की है, जबकि वहां पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून होती है। वहीं मुंबई में आमतौर पर 11 जून को मानसून की एंट्री होती है, लेकिन यहां भी मानसून ने समय से पहले दस्तक दे दी है। आईएमडी के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 1956 में 29 मई को मुंबई पहुंचा था। यह 1962 और 1971 में भी इसी तिथि को पहुंचा था। आईएमडी ने बताया कि सुबह 8.30 बजे से 11.30 बजे के बीच कोलाबा में 105.2 मिलीमीटर बारिश हुई, सांताक्रूज (55 मिमी), बांद्रा (68.5 मिमी), जुहू एयरपोर्ट (63.5 मिमी), चेंबूर (38.5 मिमी), विक्रोली (37.5 मिमी), महालक्ष्मी (33.5 मिमी) और सायन (53.5 मिमी)।
क्या है कालबैसाखी
मई के महिने में घनघोर बारिश को लेकर जानकार बताते हैं कि से कालबैसाखी के कारण हो रहा है। कालबैसाखी को नॉरवेस्टर भी कहा जाता है। ये भयंकर आंधी के रूप में अप्रैल-मई के महिने में पूर्वी भारत के राज्यों, जैसे बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और असम से उठती है। कालबैसाखी सिर्फ प्री मानसून सीजन के वक्त ही देखने को मिलती है। नॉरवेस्टर शब्द की उत्पत्ति उत्तर पश्चिम के पूर्व की ओर से उठने वाले तूफान की सामान्य गति को दर्शाता है। कानबैसाखी एक स्थानीय नाम है, जिसका अर्थ अप्रैल-मई की आपदा होता है। नाम के अर्थ से ही इसके विनाशकारी प्रकृति का अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकार बताते हैं कि कालबैसाख्ी का चक्र जून में भी देखने को मिलेगा। देश में महासुनामी दस्तक दे सकती है।
इस लिए हो रही तेज बारिश
मई में हो रही बारिश को लेकर आईएमडी के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी आर के जेनामनी ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएं दिल्ली में नमी लेकर आईं, इसलिए तेज बारिश हुई। इसके अलावा उत्तरी पंजाब और जम्मू-कश्मीर के पास एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। यह निचले स्तर के वायुमंडल में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना रहा है। साथ ही उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पास भी चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। यह समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर है। पश्चिमी राजस्थान के पास भी इसी तरह का चक्रवाती क्षेत्र बना हुआ है। ऐसे में देश के कई राज्यों में आसमान में बादल मंडराते रहेंगे। तेज बारिश और भयंकर आंधी का सामना लोगों को करना पड़ सकता है।
हवाएं उत्तर पश्चिम भारत की तरफ बढ़ रही
मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी से आने वाली पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हवाएं और अरब सागर से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाएं उत्तर पश्चिम भारत की तरफ बढ़ रही हैं। ये हवाएं निचले वायुमंडल में हैं। जब ये हवाएं मध्य स्तर की शुष्क पश्चिमी हवाओं से मिलती हैं, तो भयंकर तूफान आते हैं। यही वजह है कि मौसम में भी बदलाव हो रहा है। पहला पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पंजाब और जम्मू-कश्मीर के पास है। दूसरा उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पास चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र है। तीसरा राजस्थान के पास भी इसी तरह का क्षेत्र बना हुआ है। ऐसे में दिल्ली, एनसीआर और यूपी में दो जून तक बारिश और तूफान आने की प्रबल संभावना है।